श्रीलंका का आर्थिक संकट बना मौका
भारत ने महत्वपूर्ण रणनीति अपनाई और श्रीलंका में सभी दावेदारों से जुड़ाव बनाए रखा। नई दिल्ली ने दिसानायके को आधिकारिक यात्रा पर आमंत्रित किया, जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल ने चुनावों से पहले पार्टी लाइन से हटकर श्रीलंकाई नेताओं से मुलाकात की। जेवीपी ने इसे मौके के रूप में देखा।
नई सरकार को होगी भारत की जरूरत
भारत को लेकर बदला रवैया
चीन से कैसे होंगे रिश्ते
बीजिंग के लिए अब पहले जैसा नहीं
अगर दिसानायके ऐसा करते हैं तो बीजिंग को यह पसंद नहीं आएगा, जिसने सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। इसके उलट यह भारत जैसे भागीदारों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिनकी दिलचस्पी संस्थानों को मजबूत करने और देश के शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने में है।