श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा है कि वे भारत और चीन के बीच सैंडविच बनकर नहीं रहना चाहते हैं। मोनोकल मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में अनुरा ने कहा कि श्रीलंका किसी दुनिया की राजनीतिक लड़ाई में नहीं फंसना चाहते हैं।
हम न तो किसी तरह के कंपीटीशन में हिस्सा लेंगे और न ही दबदबा बनाने के लिए लड़े रहे किसी देश का साथ देंगे। राष्ट्रपति ने कहा, दोनों देश हमारे अच्छे दोस्त हैं, मुझे उम्मीद है भविष्य में हमारी साझेदारी अच्छी होगी।
दिसानायके ने कहा कि वे यूरोपियन यूनियन (EU) मिडिल ईस्ट और अफ्रीका से अच्छे रिश्ते रखेंगे। श्रीलंका की विदेश नीति निष्पक्ष होगी।
श्रीलंका बैंक करप्ट हो चुका देश
दिसानायके ने कल ही राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। श्रीलंका में 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद हुए चुनाव में उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी सजिथ प्रेमादासा से 10 लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए। जबकि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति तीसरे स्थान पर रहे।
दिसानायके ने कहा, "श्रीलंका बैंक करप्ट हो चुका देश हैं। हम पर 28 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। मेरी प्राथमिकता देश के आर्थिक संकट को दूर करना है।" श्रीलंका के नए राष्ट्रपति को भारत और चीन के अलावा पाकिस्तान और मालदीव से भी बधाई मिली है।
विद्रोह से सत्ता तक: 5 साल पहले पार्टी रिलॉन्च की और राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे अनुरा
उत्तर मध्य प्रांत के थंबुत्तेगामा से आने वाले अनुरा ने कोलंबो की केलानिया यूनिवर्सिटी से विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। वे 1987 में जेवीपी में शामिल हुए, जब भारत-विरोधी विद्रोह चरम पर था। पार्टी ने दो खूनी विद्रोहों का नेतृत्व किया था।
2014 में अनुरा पार्टी के प्रमुख बने। 2019 में जेवीपी का नाम एनपीपी हो गया। अनुरा फरवरी 2024 भारत सरकार के न्योते पर नई दिल्ली आए। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की।
मीटिंग में अनुरा ने द्विपक्षीय संबंधों और इन्हें मजबूत करने पर चर्चा की। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत हमेशा श्रीलंका का एक विश्वसनीय मित्र और भरोसेमंद साझेदार रहेगा।
भारत से लौटने के बाद अनुरा ने जोर देकर कहा था कि ‘भारत के साथ हुई हाई-लेवल मीटिंग्स से यह मतलब न निकाला जाए कि हमारी पार्टी की ‘पॉलिटिकल और इकोनॉमिकल पॉलिसी’ में कोई बदलाव आया है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर्स में हम भारत से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। हम देश में बदलाव लाने की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में हमें इंटरनेशनल सपोर्ट की जरूरत है। हम एक अलग-थलग देश के तौर पर नहीं रह सकते, हमें इंटरनेशनल रिलेशंस को मजबूत करने की जरूरत है।’
देश छोड़कर जा रहे विक्रमसिंघे और राजपक्षे की पार्टियों के नेता
श्रीलंका में चुनावी नतीजे आने के साथ ही राजपक्षे और विक्रमसिंघे की पार्टी के कई राजनेता और बौद्ध भिक्षु कोलंबो एयरपोर्ट से देश छोड़कर चले गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व मंत्री सुसंथा पंचिनिलामे शनिवार को चेन्नई चले गए।
वहीं, यूनाइटेड नेशनल पार्टी के महासचिव पालिथा बंडारा शनिवार रात थाईलैंड के लिए रवाना हुए। रविवार को इत्तेकंडे सद्दातिसा हॉन्गकॉन्ग के लिए रवाना हुए। इससे पहले, महिदा राजपक्षे के भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे शुक्रवार को ही चले गए थे।