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शिवरात्रि

Updated on 01-03-2022 05:12 PM
वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि(01 मार्च, मंगलवार)का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है। भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है -
सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।
मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।
हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।
पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।
नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।
चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।
ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।
लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।
आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।
मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख प्राप्त होते हैं ।
गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।
शिवरात्रि का हर क्षण ही भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन शिवरात्रि में मध्यरात्रि की पूजा सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट होती है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है कि शिवरात्रि पर संध्या काल से लेकर अगले दिन सवेरे तक पूजा की जाए यानी चार पहर की पूजा की जाए।
चार पहर की पूजा आखिर विशेष क्यों मानी जाती है?
तकनीकी रूप से देखें तो हर महीने में शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि आती है और यह पूजन के लिए अत्यंत विशेष होता है। शिवरात्रि पर रात की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है चार पहर की पूजा। संध्याकाल से प्रदोष काल से शुरू होकर यह पूजा अगले दिन के ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन खत्म होती है। इसमें रात्रि का संपूर्ण प्रयोग किया जाता है यानी पूरी पूरी रात का इस्तेमाल किया जाता है। यह दिन शिव कृपा से भरा होता है। महाशिवरात्रि पर हर क्षण भगवान शिव की कृपा बरसती है।
महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें: महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं। मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर इसके बाद दीपक और कपूर जलाएं। पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ समय:
  • पहले पहर की पूजा- 1 मार्च को शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 09 बजकर 27 मिनट तक।
  • दूसरे पहर की पूजा- 1 मार्च की रात 09 बजकर 27 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक।
  • तीसरे पहर की पूजा- 2 मार्च की सुबह 03 बजकर 39 मिनट से सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक।
  • चौथे पहर की पूजा का समय- 2 मार्च को सुबह 03 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक।
  • व्रत पारण का समय- 02 मार्च को सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

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