नई दिल्ली. भारत ने शनिवार (26 अक्टूबर) को पुणे में न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरा टेस्ट 113 रन से गंवा दिया जिससे मेहमान टीम ने तीन मैच की सीरीज में 2-0 की विजयी बढ़त बना ली. इसके साथ ही भारत का 2012-13 में इंग्लैंड से हारने के बाद से घरेलू मैदान पर लगातार 18 टेस्ट सीरीज जीतने का सिलसिला भी खत्म हो गया. भारत के पूर्व विकेटकीपर दिनेश कार्तिक का मानना है कि न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हार की जिम्मेदारी सीनियर भारतीय खिलाड़ियों पर है जबकि पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर का मानना है कि कोच गौतम गंभीर को दोषी ठहराना ठीक नहीं है.
कार्तिक ने ‘क्रिकबज’ से कहा, ‘‘हां, इसका (सीरीज में हार का) दोष सीनियर खिलाड़ियों पर क्यों नहीं होना चाहिए? वे खुद को देखेंगे और कहेंगे, ‘हम और क्या बेहतर कर सकते थे?’ मुझे नहीं लगता कि वे इससे भाग रहे हैं. अगर आप जीत का जश्न मना सकते हैं और प्रशंसक यह महसूस करते हैं कि वे कितने महत्वपूर्ण हैं तो जब हार होती है और आप पर हमला किया जाता है तो मुझे लगता है कि उनमें इसका सामना करने की हिम्मत होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप उनमें से हर एक से व्यक्तिगत रूप से पूछें कि वे सीरीज के बारे में क्या सोचते हैं तो मुझे नहीं लगता कि वे पूरी टीम के प्रदर्शन के बारे में कुछ खास कह पाएंगे और उनसे यह पूछना उचित होगा कि भारत में टेस्ट क्रिकेट के भविष्य और भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए क्या बेहतर किया जा सकता है.”
भारत के दो टेस्ट मैच में रणनीति में चूक करने और बार-बार बल्लेबाजी के ढहने के बाद नए मुख्य कोच गौतम गंभीर भी आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं लेकिन मांजरेकर ने इस पूर्व सलामी बल्लेबाज का समर्थन किया. मांजरेकर ने ‘ईएसपीएनक्रिकइंफो’ से कहा, ‘‘मैं अब भी यही कहूंगा कि कोच का टीम पर सबसे कम प्रभाव होता है, आपके 11वें सबसे कमजोर खिलाड़ी से भी कम. वह मैदान पर पैर नहीं रखता, कप्तान वहां जिम्मेदार होता है.’’
मांजरेकर ने फॉर्म में चल रहे सरफराज खान से पहले ऑलराउंडर सुंदर को बल्लेबाजी के लिए भेजने के रोहित के ‘अजीब’ फैसले पर सवाल उठाया. ‘‘सरफराज खान को निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजना और वाशिंगटन सुंदर को उनके ऊपर भेजना क्योंकि वह बाएं हाथ का बल्लेबाज है, इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए. यह बिल्कुल अजीब है. यह एक ऐसी चीज है जिससे रोहित शर्मा को सावधान रहने की जरूरत है. टी20 में बाएं और दाएं हाथ के संयोजन के बारे में सोचना. मुझे लगता है कि उन्हें खिलाड़ियों को क्षमता के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए.’’