संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पिछले हफ्ते हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। इस बारिश के कारण दुबई शहर की कई जगहों में पानी भरा गया था।
अब नासा ने बाढ़ के बाद और बाढ़ के पहले की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में दुबई में बारिश के असर को देखा जा सकता है।
दुबई में बाढ़ आने की वजह
कुछ एक्सपर्ट्स ने इस बाढ़ का कारण क्लाउड सीडिंग यानी आर्टिफिशियल बारिश को बताया था। एसोसिएट प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि दुबई प्रशासन ने क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने के लिए एक विमान उड़ाया था। इसके कुछ देर बाद ही खाड़ी देशों को भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा।
जब एक निश्चित जगह पर एक निश्चित समय में बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है, तो उसे बादल फटना कहते हैं। बादल फटना इस बात पर निर्भर करता है कि क्लाउड सीडिंग से कितने बादल जमा हुए हैं।अगर बहुत ज्यादा भाप से भरे बादलों की पहचान कर उसमें क्लाउड सीडिंग करा दें, तो बादल फट सकते हैं। ऐसे में संभव है कि UAE समेत खाड़ी देशों में इसकी वजह से तेज बारिश आई हो। जो बाढ़ की वजह बनी।
हालांकि, अमेरिकी मौसम वैज्ञानिक रयान माउ इस बात को मानने से इनकार करते हैं कि दुबई में बाढ़ की वजह क्लाउड सीडिंग है। उनके मुताबिक खाड़ी देशों पर बादल की पतली लेयर होती है। वहां क्लाउड सीडिंग के बावजूद इतनी बारिश नहीं हो सकती है कि बाढ़ आ जाए। क्लाउड सीडिंग से एक बार में बारिश हो सकती है। इससे कई दिनों तक रुक-रुक कर बारिश नहीं होती जैसा की वहां हो रहा है।
माउ के मुताबिक UAE और ओमान जैसे देशों में तेज बारिश की वजह क्लाइमेट चेंज है। जो क्लाउड सीडिंग पर इल्जाम लगा रहे हैं वो ज्यादातर उस मानसिकता के हैं जो ये मानते ही नहीं कि क्लाइमेट चेंज जैसी कोई चीज होती है।
जहां भी समुद्र की सतह का पानी गर्म होगा, वहां की हवा भी गर्म होकर ऊपर उठेगी। इससे उस पूरे क्षेत्र में लो प्रेशर यानी LP बन जाएगा। इसके अलावा गर्म समुद्री पानी भाप बनकर बादल बनते हैं और यही बादल उस इलाके में बारिश करते हैं। यानी जहां लो प्रेशर (LP) वहां बारिश और जहां हाई प्रेशर (HP) वहां सूखा। मौसम वैज्ञानिक माउ बताते हैं कि गल्फ देशों पर बारिश से पहले 3 लॉ प्रेशर सिस्टम की एक ट्रेन बनी थी। जो वहां बारिश और तूफान लेकर आई।
क्या है क्लाउड सीडिंग ?
जब प्राकृतिक रूप से कहीं बारिश नहीं हो तो आर्टिफिशियल तरीके से बादलों को बारिश में बदलने की तकनीक को क्लाउड सीडिंग कहते हैं। क्लाउड सीडिंग के लिए सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस (सॉलिड कॉबर्न डाइऑक्साइड) जैसे रसायनों को हेलिकॉप्टर या प्लेन के जरिए आसमान में बादलों के करीब बिखेर दिया जाता है।
ये पार्टिकल हवा में भाप को आकर्षित करते हैं, जिससे तूफानी बादल बनते हैं और अंत में बारिश होती है। इस तरीके से बारिश होने में करीब आधा घंटा लगता है।