नई दिल्ली । महामारी कोरोना से लोगों को निजात दिलाने उनका उपचार करने वाले चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पीड़ितों को बचाया। अभी तक इस वायरस ने लड़ने के लिए हमारे पास कोई भी वैक्सीन और दवाएं उपलब्ध नहीं है लेकिन डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स ने हिम्मत के साथ इस चुनौती का सामना किया। मगर अफसोस है कि आज सरकारी नीतियों के कारण उनको अपने वेतन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के हिंदू राव अस्पताल में काफी दिनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शन चल रहा है लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही। हिंदूराव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों और स्टाफ को बीते चार महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके चलते डॉक्टरों और स्टाफ ने बुधवार को अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को लिखे अपने पत्र में 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी थी।
आज भी डॉक्टर्स ने प्रदर्शन किया और आहत मन से कहा कि कोरोना जैसी महामारी से फ्रंटलाइन पर मुकाबला करने वाले डॉक्टर्स के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन दिल्ली सरकार को दोष देती है और दिल्ली सरकार नगर निगम को दोष देती है। प्रोटेस्ट करने वाले डॉक्टर्स ने कहा कि हमको राजनीतिक फुटबॉल की तरह यहां से वहां भटकाया जा रहा है। वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि अस्पताल के कर्मचारियों को उनके वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए। अगर दिल्ली नगर निगम हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पतालों को चलाने में सक्षम नहीं है, तो उन्हें राज्य सरकार को सौंप देना चाहिए।'