डेकाथलॉन भी भारत सरकार के साथ बातचीत कर रही है ताकि वह अपने स्टोरों में प्रतिद्वंद्वी स्थानीय और वैश्विक ब्रांडों के उत्पाद बेच सके। यानी वह मल्टी-ब्रांड रिटेलर के रूप में काम करना चाहती है। ग्लोबल लेवल पर कंपनी के रेवेन्यू में प्रतिद्वंद्वी ब्रांड्स की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है लेकिन भारत में एफडीआई नियमों में मुताबिक वह दूसरे ब्रांड्स के प्रॉडक्ट नहीं बेच सकती है। एक सूत्र ने कहा कि भारत इन कंपनियों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है और डेकाथलॉन की तर्ज पर एक बड़ा स्टोर प्रारूप एक गेम चेंजर हो सकता है। महामारी के मद्देनजर ब्रांड्स ने कैजुअल स्टाइल की लोकप्रियता का फायदा उठाया है। 1.4 अरब की आबादी के साथ भारत स्पोर्ट्सवियर और फुटवियर कंपनियों के लिए सबसे तेजी से बढ़ रहे और सबसे बड़े इंटरनेशनल मार्केट्स में से एक है। ज्यादातर ग्लोबल ब्रांड्स भारत में दो दशक से अधिक समय से मौजूद हैं। क्रिकेट और अन्य खेल गतिविधियों के साथ साझेदारी करके उन्होंने अपने उत्पादों को आगे बढ़ाया है।