पाकिस्तान में किसी भी सरकारी कार्यक्रम में रेड कार्पेट का इस्तेमाल नहीं होगा। अब इसे सिर्फ विदेशी महमानों के स्वागत में बिछाया जाएगा। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने यह फैसला लिया है।
पाकिस्तानी मीडिया ARY न्यूज के मुताबिक, PM शाहबाज शरीफ ने अधिकारियों को आधिकारिक कार्यक्रमों में रेड कार्पेट के इस्तेमाल पर बैन लगाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में रेड कार्पेट बिछाने की प्रथा पर असंतोष जाहिर किया।
इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को मिलने वाली सैलरी लेने से भी इन्कार कर दिया है। 18 दिन पहले राष्ट्रपति जरदारी ने भी सैलरी नहीं लेने का फैसला किया था। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद कैबिनेट के मंत्रियों ने भी सैलरी नहीं लेने की घोषणा की है।
पाकिस्तानी PM की सैलरी 2 लाख रुपए
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की सैलरी 2 लाख रुपए प्रति महीना होती है। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को सैलरी के तौर पर हर महीने करीब 8 लाख 46 हजार पाकिस्तानी रुपए मिलते थे। यह वेतन 2018 में संसद ने तय किया था।
सैलरी नहीं लेने की वजह- देश के आर्थिक हालात
13 मार्च को जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने अपने X अकाउंट पर लिखा- राष्ट्रपति जरदारी देश की मदद करने के लिए अपने कार्यकाल में कोई सैलरी नहीं लेंगे। उन्होंने फाइनेंशियल मैनेजमेंट और राष्ट्रीय राजस्व पर बोझ नहीं डालने का फैसला किया है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 8 बिलियन डॉलर है, जो करीब डेढ़ महीने तक के सामानों के आयात जितना है। देश के पास कम से कम 3 महीने के सामान के आयात जितना पैसा होना चाहिए।
2024 में पाकिस्तान की GDP महज 2.1% की दर से बढ़ने की संभावना है। विकास की ये दर कमजोर सरकार आने पर और नीचे जा सकती है। फिलहाल एक डॉलर की कीमत 276 पाकिस्तानी रुपए के बराबर है।
2022 में इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पाकिस्तान में राजनीतिक उठा पटक की स्थिति थी। इसके चलते महज 4 महीनों में डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी करेंसी में 30 रुपए की भारी गिरावट हुई। जनवरी 2022 में 1 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की वैल्यू 174 थी, जो मई तक बढ़कर 204 हो गई। इससे साफ है कि अब अगर फिर से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता आई तो इसका असर वहां की करेंसी पर होगा।
IMF से कर्ज नहीं मिला तो डिफॉल्टर हो जाएगा पाकिस्तान
घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच पाकिस्तान को अगले 2 महीने में 1 बिलियन डॉलर, यानी 8.30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है। एक तरफ उस पर कर्ज तोड़ने का दबाव है, तो वहीं दूसरी ओर 12 अप्रैल 2024 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से उसे 3 बिलियन डॉलर कर्ज मिलने की समय सीमा भी खत्म हो रही है। अगर कर्ज नहीं मिला तो मुल्क दिवालिया घोषित हो सकता है।