ईरान में आज राष्ट्रपति पद के दूसरे चरण के लिए वोटिंग चल रही है। इससे पहले देश में 28 मई को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। इसमें किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला था।
ईरान में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के लिए 50% वोट हासिल करना जरूरी होता है। पिछले हफ्ते हुए चुनाव में पजशकियान को 42.5% वोट मिले थे, जबकि सईद जलीली 38.8% वोट मिले।
इन दो उम्मीदवारों में से कोई भी 50% हासिल नहीं कर पाया। इसलिए आज हो रहे चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले इन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।
हिजाब का विरोध करते हैं मसूद पजशकियान ?
तबरीज से सांसद मसूद पजशकियान की पहचान सबसे उदारवादी नेता के रूप में रही है। ईरानी मीडिया ईरान वायर के मुताबिक लोग पेजेशकियन को रिफॉर्मिस्ट के तौर पर देख रहे हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी का करीबी माना जाता है।
पजशकियान पूर्व सर्जन हैं और स्वास्थ्य मंत्री के पद पर हैं। डिबेट में ये कई बार हिजाब का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि किसी को भी मॉरल पुलिसिंग का हक नहीं है।
पजशकियान सबसे पहले 2006 में तबरीज से विधायक बने थे। वे अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं। 2011 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन बाद में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।
परमाणु हथियार को लेकर आक्रमक रुख रखते हैं सईद जलीली
सईद जलीली राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के पूर्व सचिव रहे चुके हैं। पश्चिमी देशों और ईरान के बीच जो परमाणु हथियारों पर बातचीत हुई थी वो उसके वार्ताकार रहे हैं। परमाणु हथियार को लेकर उनका आक्रामक रुख रहा है। वे कट्टरपंथी खेमे के माने जाते हैं और अयातोल्ला खामेनई के काफी करीबी हैं। राष्ट्रपति पद के लिए इतना दावा बेहद मजबूत है।
पश्चमी देशों संग बेहतर रिश्ता बनाने के हिमायती पजशकियान
उदारवादी मसूद पजशकियान और रूढ़िवादी सईद जलीली की नीतियों में जमीन-आसमान का अंतर है। पजशकियान ईरान में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को लागू करने और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए नीतियां अपनाने पर जोर देते हैं।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। यह अपने सदस्य देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। ईरान 2019 से FATF की ब्लैक लिस्ट में है।
इससे ईरान को ये नुकसान है कि IMF, ADB, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक उसकी आर्थिक मदद नहीं कर रहीं। प्रतिबंधों की वजह से ईरान में मल्टी नेशनल कंपनियां कारोबार करने नहीं पहुंचती हैं। इस वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।
अमेरिका के कट्टर विरोधी हैं सईद जलीली
सईद जलीली अमेरिका के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। उनका कहना है कि ईरान को अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। रुढ़िवादी नेता जलीली का मानना है कि ईरान को आर्थिक रूप से इतना आत्मनिर्भर होना चाहिए कि अमेरिका को भी प्रतिबंध लगाने पर पछतावा हो।
घरेलू आर्थिक नीतियों पर भी दोनों उम्मीदवारों में मतभेद है। पजशकियान का मानना है कि सरकार को निजी क्षेत्र को पनपने देना चाहिए और बाजार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जबकि जलीली का मानना है कि बाजार पर सरकार का कंट्रोल होना चाहिए।
अयातुल्ला खामेनेई ने अपना वोट डाला
ईरान के सर्वोच्च नेता ने शुक्रवार सुबह वोट डालने के बाद कहा कि उन्हें बताया गया है कि पिछले चरण की तुलना में इस बार अधिक वोटिंग हो रही है जो कि खुशी की बात है। ईरान में 28 जून के राष्ट्रपति चुनाव में 40% मतदान हुआ था जो कि बेहद कम था।
हिजाब का मुद्दा भी छाया
इस चुनाव में पहली बार ऐसा हो रहा है जब भ्रष्टाचार, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, प्रेस की आजादी, प्रतिभा पलायन रोकने जैसे नए मुद्दे छाए हुए हैं।
सबसे चौंकाने वाला चुनावी मुद्दा हिजाब कानून का है। 2022 में ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन और उसके बाद सरकार के द्वारा उसके दमन के चलते कई वोटर्स के जेहन में यह सबसे बड़ा मुद्दा रहा है।
हिजाब लंबे समय से धार्मिक पहचान का प्रतीक रहा है, लेकिन ईरान में यह एक राजनीतिक हथियार भी रहा है। 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान में जब से हिजाब का कानून लागू हुआ था, तब से महिलाएं अलग-अलग तरह से इसका विरोध करती रही है। ईरान के 6.1 करोड़ वोटर्स में से आधे से ज्यादा महिलाएं हैं।