पोप फ्रांसिस पर समलैंगिक पुरुषों को लेकर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगा है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक इटली के दो बड़े अखबारों कोरियर डेला सिला और ला रिपब्लिका ने ये दावा किया है। इनके मुताबिक पिछले सप्ताह 20 मई को पोप फ्रांसिस (87) ने एक बंद कमरे में बैठक की थी। यहां उन्होंने समलैंगिक लोगों के लिए इटालियन भाषा के एक बेहद आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पोप फ्रांसिस ने समलैंगिक पुरुषों के लिए 'फेगोट' शब्द का इस्तेमाल किया। पोप फ्रांसिस ने इतालवी बिशप्स (पादरियों) को जोर देकर कहा कि वे समलैंगिक पुरुषों को पुरोहिती के लिए ट्रेनिंग न दें। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी इटालियन समाचार एजेंसियों ने सूत्रों के हवाले से पोप के इस बयान की पुष्टि की है।
पोप फ्रांसिस के आपत्तिजनक बयान पर अब तक वेटिकन की प्रतिक्रिया नहीं आई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि पोप समर्थकों का ये मानना है कि स्पेनिश भाषी देश अर्जेंटीना में जन्मे पोप फ्रांसिस को शायद इस इतावली शब्द का स्पष्ट मतलब न पता हो। भले ही वे इतावली-भाषी घराने में पले-बढ़े हों। फेगोट शब्द को साधारण तौर पर समलैंगिक पुरुषों के कामुक व्यवहार को बताने के लिए किया जाता है। इसकी LGBTQ समुदाय आलोचना करता रहा है।
समलैंगिकों की शादी को पाप मानते हैं पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस अपने बयानों से LGBT समुदाय के लिए काफी सहज दिखते रहे हैं। एक बार जब उनसे समलैंगिकता को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था- मैं इस बारे में फैसला करने वाला कौन होता हूं? वह कई बार चर्च में समलैंगिक लोगों के स्वागत की बात कर चुके हैं।
दिसंबर 2023 में पोप फ्रांसिस ने समलैंगिकता पर एक बयान देकर कैथोलिक कट्टरपंथियों को हैरान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पुजारियों को कुछ परिस्थितियों में समलैंगिक जोड़ों को आर्शीवाद देना चाहिए। हालांकि, कुछ साल पहले ही पोप के ऑफिस ने बयान जारी कर समलैंगिकों की शादी को पाप बताया था।
पोप के समलैंगिकों की शादी का समर्थन करने वाले बयान के बाद वेटिकन सिटी की तरफ से कहा गया है कि ईश्वर का आशीष और उसका प्रेम पाने का अधिकार सभी को है। पोप के प्रगतिशील बयानों के बाद माना जाने लगा था कि वे भविष्य में समलैंगिक पुरुषों को पुरोहिती के लिए ट्रेनिंग देने की अनुमति दे सकते हैं। उन्हें भी दूसरे प्रीस्ट्स की तरह ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना होगा।
स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 के एक दस्तावेज के मुताबिक, वेटिकन ने कहा था कि चर्च उन लोगों को पुरोहिती में प्रवेश दे सकता है जिन्होंने कम से कम 3 सालों तक समलैंगिक व्यवहार पर काबू पा लिया हो।
दस्तावेज में कहा गया है कि जो लोग समलैंगिक हैं या फिर इसका समर्थन करते हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।