नॉर्थ कोरिया ने शुक्रवार को साउथ कोरिया की तरफ तोप के 200 गोले दागे हैं। फिलहाल किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।
BBC के मुताबिक नॉर्थ कोरिया ने साउथ कोरिया के योनप्योंग आईलैंड की तरफ गोले दागे हैं। जिसके बाद साउथ कोरियाई प्रशासन ने लोगों से आईलैंड खाली करने को कहा है। इसके अलावा पास के बेंगनीओंग आईलैंड को भी खाली करने के आदेश दिए गए हैं।
दक्षिण कोरिया ने तानाशाह किंग जोंग उन के इस कदम को उकसाने वाली हरकत बताया है। इस तरह की हरकत नॉर्थ कोरिया ने 2010 में भी की थी। उस दौरान योनप्योंग आईलैंड के 4 लोग मारे गए थे। वहीं, 13 साल बाद नॉर्थ कोरिया की तरफ से दागे गए तोप के गोले बफर जोन में गिरे। यानी ऐसे इलाके में गिरे जहां नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया दोनों ही देशों का कब्जा नहीं है।
दोनों देशो में कभी भी जंग छिड़ सकती है
BBC के मुताबिक यह घटना नॉर्थ कोरिया की तरफ से दी गई चेतावनी के बाद हुई है। दरअसल, नॉर्थ कोरिया जंग (जो किसी भी समय छिड़ सकती है) की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वो हथियार जुटा रहा है और मिलिट्री पावर बढ़ा रहा है।
1 जनवरी को नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी सेना से कहा था- अगर साउथ कोरिया और अमेरिका की तरफ से सैन्य कार्रवाई की जाती है तो हमें पीछे नहीं हटना है। पूरी ताकत से हमला करना है और विरोधियों का खात्मा करना है। हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने साउथ कोरिया के बीच हुई एक मिलिट्री डील को भी खत्म कर दिया था। इस डील का मकसद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारना था।
किम जोंग की हत्या की साजिश कर रहा साउथ कोरिया
साउथ कोरिया की सेना नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की हत्या की तैयारी कर रही है। न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक साउथ कोरिया ने स्वीकार किया कि उसकी सेना उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की संभावित हत्या के लिए सक्रिय रूप से 'हत्या अभ्यास' (डिकैपिटेशन ड्रिल) कर रही है।
साउथ कोरिया के डिफेंस मिनिस्टर ने कहा- नॉर्थ कोरिया का सामना करने के लिए तानाशाह की हत्या एक ऑप्शन है। इसके लिए हमारी सेना ड्रिल कर रही है। इसके अलावा परमाणु हथियारों की तैनाती को भी ऑप्शन में रखा गया है। इसकी तैयारी भी की जा रही है। 'हत्या अभ्यास' में अमेरिकी सेना भी हमारा साथ दे रही है।
साउथ कोरिया का साथ क्यों दे रहा अमेरिका
नॉर्थ कोरिया ने मार्च 2023 में पहली बार अपने परमाणु हथियार दुनिया को दिखाए थे। नॉर्थ कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों को हवासैन-31 नाम दिया है। न्यूक्लियर एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया के हथियार बेशक छोटे हैं फिर भी इन्हें इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों पर लगाकर अमेरिका और साउथ कोरिया में तबाही मचाई जा सकती है। यही वजह है कि अमेरिका, साउथ कोरिया का साथ दे रहा है।