पीएनबी घोटाला मामले में मुख्य आरोपी भगोड़े नीरव मोदी की और जमानत याचिका खारिज हो गई है। उसने 16 अप्रैल 2024 को लंदन की वेस्टमिन्सटर मजिस्ट्रेट कोर्ट में 5 बार याचिका लगाई थी।
नीरव पिछले पांच साल से जेल में है। लंबी कैद का हवाला देते हुए ही उसने पांचवीं बार याचिका दायर की थी। उसकी पिछली याचिका साढ़े तीन साल पहले खारिज की गई थी।
सुनवाई के दौरान डिस्ट्रिक्ट जज जॉन जानी ने कहा कि जमानत के खिलाफ पर्याप्त आधार हैं। उसे बेल मिली तो वह जांच और गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
जज ने कहा कि नीरव पर धोखाधड़ी का बहुत बड़ा आरोप है। यह कोई मामूली मामला नहीं, जिसमें जमानत दी जा सकती हो। कोर्ट में सुनावाई के दौरान नीरव खुद पेश नहीं हुआ था। हालांकि, उसका बेटा और दो बेटियां गैलरी में मौजूद थीं।
नीरव मोदी पर PNB से लोन लेकर करीब 14 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। घोटाला सामने आने के बाद वह जनवरी 2018 में देश छोड़कर फरार हो गया था। नीरव को साउथ-वेस्ट लंदन से 19 मार्च, 2019 को गिरफ्तार किया गया था।
ED-CBI के जॉइंट टीम सुनवाई के लिए लंदन पहुंची थी
भारत में नीरव के खिलाफ धोखाधड़ी के तीन केस हैं। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ धोखाधड़ी का सीबीआई मामला। दूसरा, पीएनबी मामले मनी लॉन्ड्रिंग का केस और तीसरा सीबीआई की कार्रवाई में सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ का मामला।
नीरव की जमानत पर ED-CBI ने भी अपना पक्ष रखा। दोनों एजेंसियों की एक संयुक्त टीम लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत पहुंची थी। अधिकारियों ने जमानत का विरोध किया था।
कब और कैसे हुआ था PNB घोटाला?
घोटाले की शुरुआत पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच से 2011 में हुई। फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए घोटाला किया गया। साल 2011 से 2018 के बीच हजारों करोड़ की रकम विदेशी खातों में ट्रांसफर की गई।
फ्रॉड का खुलासा फरवरी 2028 के पहले हफ्ते में हुआ। पंजाब नेशनल बैंक ने सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी। बाद में पीएनबी ने 1,300 करोड़ के नए फ्रॉड के बारे में सीबीआई को बताया।
3 साल पहले कोर्ट ने नीरव के प्रत्यर्पण का फैसला सुनाया था
फरवरी 2021 में ब्रिटेन की वेस्टमिन्सटर कोर्ट में नीरव के प्रत्यर्पण पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने भी नीरव को भारत भेजने की मंजूरी दे दी थी। इसके बाद 15 अप्रैल 2021 को ब्रिटेन की होम सेक्रेटरी प्रीति पटेल ने भी नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। इसके बाद लंदन हाईकोर्ट ने नीरव के प्रत्यर्पण का फैसला सुनाया था। हालांकि, अन्य कानूनी प्रक्रिया के चलते नीरव का प्रत्यर्पण अब तक नहीं हो पाया है।
1992 में हुई थी प्रत्यर्पण संधि
भारत और ब्रिटेन के बीच 22 सितंबर 1992 को प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन पहले आरोपी को भारत लाने में 24 साल का वक्त लग गया। हत्या के आरोपी समीरभाई वीनूभाई पटेल को 19 अक्टूबर 2016 को प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया था।
उसके बाद फरवरी 2020 में संजीव कुमार चावला को भारत लाया गया। संजीव को मैच फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। यानी, ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि हुए 28 साल से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अब तक सिर्फ दो आरोपियों को ही लाने में कामयाबी मिली है।
भारत से तीन आरोपियों को ब्रिटेन भेजा गया
अभी तक तीन आरोपियों को भारत से ब्रिटेन भेजा गया है। सबसे पहले 8 जुलाई 2009 को सोमैया केतन सुरेंद्र को प्रत्यर्पित किया गया था, जो केन्याई नागरिक थे। उन्हें धोखाधड़ी के मामले में भेजा गया था।
उसके बाद किडनैपिंग के मामले में गिरफ्तार किए गए कुलविंदर सिंह को 14 नवंबर 2013 को ब्रिटेन को सौंपा गया। आखिरी बार 29 जुलाई 2017 को ब्रिटेन की हाना फोस्टर की हत्या के आरोपी मनिंदर पाल सिंह को ब्रिटेन भेजा गया था।