रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट बनने की कोशिश कर रहीं भारतीय मूल की निक्की हेली ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी वादों पर फिर सवालिया निशान लगाए हैं। निक्की ने कहा- ट्रम्प अमेरिका को फिर महान बनाने की बातें कर रहे हैं, हमें अमेरिका को ग्रेट नहीं, नॉर्मल बनाने की जरूरत है। अगर ट्रम्प फिर हमारे कैंडिडेट बनते हैं, तो बाइडेन आसानी से 2024 का इलेक्शन जीत जाएंगे।
रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों पार्टियां प्राइमरी और कॉकस इलेक्शन के जरिए प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट सिलेक्ट कर रही हैं। माना जा रहा है कि मार्च से जून के बीच दोनों पार्टियों के कैंडिडेट तय हो जाएंगे। निक्की और ट्रम्प का मुकाबला 23 फरवरी को साउथ कैरोलिना प्राइमरी में फिर होगा।
जीत का भरोसा
निक्की भले ही रिपब्लिन रेस में ट्रम्प से पीछे हों, लेकिन उन्हें वापसी और जीत का भरोसा है। साउथ कैरोलिना में 23 फरवरी को होने वाले प्राइमरी इलेक्शन से पहले समर्थकों के लिए जारी बयान में साउथ कैरोलिना की इस पूर्व गवर्नर ने कहा- तस्वीर बिल्कुल साफ है। अगर ट्रम्प ही हमारी पार्टी की तरफ से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट बनते हैं तो जो बाइडेन आराम से फिर चुनाव जीत जाएंगे।
UN में अमेरिकी एंबेसैडर रह चुकीं निक्की ने आगे कहा- डेमोक्रेट्स बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि उनका चुनाव जीतना तभी मुमकिन है, जब ट्रम्प से बाइडेन का मुकाबला हो। इस बात को कुछ लोग समझ नहीं पा रहे हैं। मैं दो प्राइमरी भले ही हार चुकी हूं, लेकिन वापसी करूंगी और जीत भी मिलेगी।
अमेरिका को नॉर्मल बनाने की जरूरत
निक्की ने एक नया नारा दिया। कहा- मेक अमेरिका नॉर्मल अगेन। उन्होंने कहा- मेरे कैम्पेन को बहुत सपोर्ट मिल रहा है। बाइडेन और ट्रम्प दोनों 80 साल के करीब हो चुके हैं। मैं चाहती हूं कि इस बार किसी यंग कैंडिडेट को मौका मिले। इसलिए समर्थक पूरी तरह तैयार रहें। साउथ कैरोलिना तो मेरा होम स्टेट है। मैं जानती हूं कि यहां ट्रम्प जीत नहीं पाएंगे।
दो बार साउथ कैरोलिना की कमान संभाल चुकीं 51 साल की निक्की सर्वे में ट्रम्प से 30 पॉइंट पीछे हैं। हालांकि, उनकी कैम्पेन टीम दावा कर रही है कि जैसे-जैसे प्राइमरी इलेक्शन होंगे, निक्की वापसी कर लेंगी। निक्की ने कहा- अब अमेरिकी नागरिक ट्रम्प या बाइडेन में से किसी को नहीं चुनना चाहते। वो चाहते हैं कि कोई यंग और फ्रेश चेहरा इस महान देश का लीडर बने। ट्रम्प तो अपने हितों की सोचते हैं। बाइडेन का कोई एजेंडा नहीं होता।
ट्रम्प और निक्की की जुबानी जंग
पिछले महीने ट्रम्प ने न्यू हैम्पशायर में रैली की थी। इस दौरान वो निक्की और अमेरिकी संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी में कनफ्यूज हो गए थे। उन्होंने पेलोसी को निक्की हेली समझकर उन पर आरोप लगाया था कि वो 6 जनवरी 2021 को अमेरिका की संसद में हुई हिंसा को ठीक से संभाल नहीं पाईं। इस दौरान उन्होंने कई बार पेलोसी की जगह हेली का नाम लिया।
इस पर निक्की ने कहा था- मैं कुछ अपमानजनक नहीं कहना चाहती, लेकिन राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों और उसके प्रेशर के बीच में हम ऐसे किसी व्यक्ति की मानसिक हालत को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। जहां अमेरिका में इस वक्त अव्यवस्था है, वहीं पूरी दुनिया में भी तेजी से बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या अमेरिका को फिर से 2 ऐसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चाहिए जो 80 साल के हैं। हमें एक्टिव लोगों की जरूरत है।
ट्रम्प ने निक्की के नाम का भी मजाक बनाया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार निक्की को निंब्रा और निम्रदा कहकर संबोधित किया। इस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई। दरअसल, निक्की हेली का पूरा नाम नम्रता निक्की रंधावा है।
हालांकि, सालों से वो निक्की के नाम से ही जानी जाती हैं। शादी के बाद उन्होंने अपना सरनेम हेली कर लिया था। अपने नाम से जुड़े मजाक पर निक्की ने कहा- मैं ट्रम्प को अच्छे से जानती हूं। जब उन्हें किसी से डर लग रहा होता है, तो वो यही करते हैं। मैं उनकी इस बात का बुरा नहीं मानूंगी।
हेली इससे पहले भी नेताओं की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठा चुकी हैं। निक्की के मुताबिक, सरकार में किसी भी बड़े पद पर काबिज 75 साल से ज्यादा उम्र के नेता का मेंटल एबिलिटी टेस्ट (तकनीकि भाषा में मेंटल कॉम्पिटेंसी टेस्ट) जरूरी होना चाहिए।
हिलेरी क्लिंटन की करीबी हैं निक्की
निक्की को पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का करीबी माना जाता है। हिलेरी ही उन्हें सियासत में लाई थीं। राजनीति में आने से पहले निक्की कॉर्पोरेट वर्ल्ड में नाम कमा चुकी थीं। परिवार की कंपनियां चलाने के बाद 1998 में ओरेंजबर्ग काउंटी चेंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक मंडल में शामिल हुईं।
2004 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ वुमेन बिजनेस ऑनर की अध्यक्ष बनीं। सामाजिक कार्यों में शामिल होने लगीं। इसी से राजनीति में आने का रास्ता बना।
2004 में निक्की साउथ कैरोलिना की स्टेट रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर चुनी गईं। 2006 के चुनाव में उन्हें निर्विरोध जीत हासिल हुई। 2008 में तीसरी बार निक्की ने ये पद संभाला।
निक्की 2010 और 2014 में साउथ कैरोलिना की गवर्नर बनीं। अमेरिका में सबसे युवा (37 साल) गवर्नर बनने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है।
2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें UN में बतौर अमेरिकी ऐंबैस्डर के तौर पर नियुक्त किया। दिसंबर 2018 में निक्की ने पद से इस्तीफा दे दिया।
अमृतसर का रहने वाला है निक्की का परिवार
UN में राजदूत और दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर रह चुकीं निक्की अमेरिका में ही 1972 में जन्मीं थीं। उनका असली नाम नम्रता निक्की रंधावा है। पिता अजीत सिंह रंधावा पत्नी राज कौर के साथ 1960s में PhD करने के लिए अमृतसर से अमेरिका जाकर बस गए थे। निक्की के दो भाई मिट्ठी और सिमी और एक बहन सिमरन है।