नई इनकम टैक्स रिजीम या पुरानी, किसे चुनना अब ज्यादा फायदेमंद
Updated on
23-07-2024 05:54 PM
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को नई इनकम टैक्स रिजीम के तहत नया टैक्स स्ट्रक्चर पेश किया है। यह नया स्ट्रक्चर मिडिल क्लास के लोगों को टैक्स में राहत देगा। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नई इनकम टैक्स रिजीम के तहत 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। प्रस्ताव के अनुसार, 3 से 7 लाख रुपये के बीच की आय पर 5% टैक्स लगेगा। 7 से 10 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 10% टैक्स होगा। 10 से 12 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 15% टैक्स लगेगा। 12 से 15 लाख रुपये के बीच की आय पर 20% टैक्स और 15 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 30% टैक्स पहले जैसा ही रहेगा। यह नया टैक्स स्लैब 1 अप्रैल 2024 (आकलन वर्ष 2025-26) से लागू होगा। वहीं पुरानी टैक्स रिजीम को ज्यों का त्यों रखा गया है।
प्रस्तावित स्ट्रक्चर में इनकम स्लैब को बढ़ाया गया है, खासकर 5% वाले स्लैब को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे 7 लाख रुपये तक की कमाई करने वालों को काफी राहत मिलेगी। हालांकि, नए टैक्स सिस्टम के तहत, अगर कुल आय 7,00,000 रुपये से ज्यादा नहीं है, तो रेजिडेंट व्यक्तियों को 25,000 रुपये तक की टैक्स छूट पहले से ही मिलती है। 10,00,001 रुपये से 15,00,000 रुपये के बीच कमाई करने वालों के लिए प्रस्तावित स्ट्रक्चर के तहत टैक्स थोड़ा कम होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति 12,00,000 रुपये कमाता है तो उसे प्रस्तावित व्यवस्था के तहत 80,000 रुपये टैक्स देना होगा (50,000 रुपये + 10,00,000 रुपये से ज्यादा राशि का 15%), जबकि मौजूदा व्यवस्था के तहत उसे 90,000 रुपये टैक्स देना पड़ता है (45,000 रुपये + 9,00,000 रुपये से ज्यादा राशि का 15%)। प्रस्तावित ढांचे में 15,00,000 रुपये से ज्यादा की आय पर टैक्स में मामूली कमी की गई है (1,40,000 रुपये + 15,00,000 रुपये से ज़्यादा राशि का 30%)। मौजूदा व्यवस्था में यह टैक्स (1,50,000 रुपये + 15,00,000 रुपये से ज्यादा राशि का 30%) है।
इनकम टैक्स की पुरानी रिजीम में क्या फायदा?
इनकम टैक्स की पुरानी रिजीम, जिसे छूट वाली व्यवस्था भी कहा जाता है, में करदाता अपनी आय पर तमाम तरह की कटौतियों और छूटों का लाभ उठा सकते हैं। इनमें सेक्शन 80सी के तहत निवेश, 80डी में इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान, 80जी में डोनेशन इत्यादि शामिल हैं। इनकम टैक्स की नई रिजीम में इस तरह की छूट को शामिल नहीं किया गया है। यही कारण है कि जो लोग कई तरह के इंवेस्टमेंट करते हैं उनके लिए इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था अच्छी मानी जाती है। वे अपने इंवेस्टमेंट पर इन्हें क्लेम कर सकते हैं।
इनकम टैक्स की पुरानी रिजीम में क्या फायदा?
इनकम टैक्स की पुरानी रिजीम, जिसे छूट वाली व्यवस्था भी कहा जाता है, में करदाता अपनी आय पर तमाम तरह की कटौतियों और छूटों का लाभ उठा सकते हैं। इनमें सेक्शन 80सी के तहत निवेश, 80डी में इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान, 80जी में डोनेशन इत्यादि शामिल हैं। इनकम टैक्स की नई रिजीम में इस तरह की छूट को शामिल नहीं किया गया है। यही कारण है कि जो लोग कई तरह के इंवेस्टमेंट करते हैं उनके लिए इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था अच्छी मानी जाती है। वे अपने इंवेस्टमेंट पर इन्हें क्लेम कर सकते हैं।
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