मप्र में डायल 100 की नई और अपग्रेडेड 1200 एफआरवी (फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल) जल्द दौड़ती नजर आएंगी। इसके लिए 1585 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मुख्य सचिव और पीएस फाइनेंस के साथ हुई बैठक में डायल 100 का दूसरा चरण शुरू करने की प्रकिया पूरी ली गई है। तय हुआ है कि कॉलर्स का डेटा क्लाउड पर रखा जाएगा।
क्योंकि मप्र उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र (सिस्मिक जोन 3) में आता है। क्लाउड पर होने से आपदा के बाद भी डेटा सुरक्षित रहेगा। डेटा स्टोरेज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड होगा, जिसकी मदद से पुलिस जिले, स्थान या जोन के आधार पर अपराधों का विश्लेषण कर सकेगी। पहले चरण में डेटा विश्लेषण फिजिकली करना पड़ता था।
1 नवंबर 2015 से शुरू हुई डायल-100 सेवा के पहले चरण का करार 31 मार्च 2020 को खत्म हो गया। ये जिम्मेदारी भारत विकास ग्रुप (बीवीजी) को मिली थी। इसके बाद से गृह विभाग दूसरे चरण को शुरू करने की नाकाम कोशिशें करता रहा। नतीजा ये रहा कि एक अप्रैल 2020 के बाद से पुरानी कंपनी को 7 बार एक्सटेंशन दिया गया है। दूसरे चरण के लिए 2021, 2022 और 2023 में टेंडर किए, जो कैंसिल हो गए। वजह कभी कम कंपनियों का शामिल होना बताया गया तो कभी कंपनियां ही टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोर्ट चली गईं।
मप्र डायल 100 परफॉर्मेंस रिपोर्ट
8,48,00,417 कॉल अब तक आए हैं
1,82,24,571 लोगों तक पहुंची है एफआरवी
600 ग्रामीण और 600 गाड़ियां शहरी क्षेत्र में दूसरे चरण में 600 एफआरवी ग्रामीण और 600 शहरी क्षेत्र में तैनात होंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में बोलेरो और अर्टिगा व शहरों में इनोवा और स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियां लाई जा सकती हैं।
ऑफरोड हो रही गाड़ियां, रिस्पॉन्स टाइम भी बढ़ गया
एक नवंबर 2015 को जब डायल 100 सेवा को शुरू किया गया, तब शहरी क्षेत्र में इसका रिस्पॉन्स टाइम 10-15 मिनट था। मेंटेनेंस के अभाव में फिलहाल 70 गाड़ियां ऑफरोड हो चुकी हैं। करीब 250 किराए पर चलाई जा रही हैं। कई बार ऐसा होता है कि दूसरे प्वाइंट पर खड़ी एफआरवी को मौके पर भेजना पड़ता है।
इससे शहरी क्षेत्र में रिस्पॉन्स टाइम दोगुना हो गया है। यानी जरूरतमंद के पास अब एफआरवी को पहुंचने में 20-30 मिनट तक लग रहे हैं। नई एफआरवी 15 मिनट में पहुंचेगी।
तकनीकी सुविधाओं के साथ स्टाफ भी ज्यादा
एफआरवी में मोबाइल डेटा टर्मिनल, डैश कैम भी होगा। इससे एफआरवी का रिस्पॉन्स टाइम सुधरेगा और लोगों को ज्यादा सहूलियत मिलेगी।
एफआरवी स्टाफ को बॉडी वार्न कैमरे दिए जाएंगे, इससे कार्रवाई के दौरान पारदर्शिता रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डायल 100 के नए भवन में कंट्रोल रूम की शिफ्टिंग की जाएगी।
कंट्रोल रूम में 100 कॉल टेकर्स (पहले 80 थे) और 45 डिस्पैचर बैठेंगे। यानी एक बार में 100 लोग मदद ले सकेंगे।
कॉलर की जानकारी गोपनीय रखने के लिए कॉल मास्किंग की सुविधा की जाएगी। इससे नंबर छुप जाता है।
सीएस ने दिया था ईवी का सुझाव... सीएस का सुझाव : एफआरवी के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पर भी ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जवाब : अफसरों ने कहा, देश में कहीं भी 7 सीटर ईवी नहीं हैं। जो हैं, बेहद महंगी हैं। इसलिए ये सुझाव टाल दिया गया है। सीएस का सुझाव : मप्र सिस्मिक जोन-3 में शामिल है। कॉलर्स का डेटा सुरक्षित रखने के लिए अलग डेटा सेंटर बनाना चाहिए। जवाब : अफसरों ने बताया कि हम पूरा डेटा क्लाउड पर सेव करेंगे।