की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सऊद अरब से फिलहाल डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू करने और रिश्ते सुधारने का अमेरिकी ऑफर ठुकरा दिया है।
दूसरी तरफ, ‘यरूशलम पोस्ट’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हमास से बंधकों की रिहाई के मामले में डील करीब-करीब तय थी, लेकिन नेतन्याहू ने बतौर प्रधानमंत्री अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे ठुकरा दिया।
इजराइल को कोई जल्दबाजी नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक- पिछले दिनों ब्लिंकन जब मिडिल ईस्ट के दौरे पर थे तो उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। ब्लिंकन ने सलमान से कहा था कि मिडिल ईस्ट में अमन कायम करने के लिए जरूरी है कि सऊदी और इजराइल आपसी रिश्ते सुधारें और डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू करें। सलमान का रुख इस मामले में नर्म था, क्योंकि उनका पड़ोसी देश UAE के अलावा चार गल्फ कंट्रीज इजराइल को मान्यता दे चुके हैं।
बहरहाल, ब्लिंकन जब इजराइल पहुंचे और नेतन्याहू के सामने यह प्रपोजल रखा तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया। दरअसल, ब्लिंकन और सलमान इजराइल के सामने फिलिस्तीन को पूरे अधिकार और अलग देश के तौर पर मान्यता देने का दबाव डाल रहे थे और नेतन्याहू इसके लिए तैयार नहीं थे।
नेतन्याहू का कहना है कि सबसे पहले यह तय किया जाना चाहिए कि हमास को किस तरह खत्म किया जाए और इसके बाद गाजा में इजराइल का शासन तय करने पर डील हो और दुनिया इसकी गारंटी दे। नेतन्याहू ने ब्लिंकन को साफ बता दिया कि इस वक्त सऊदी से रिश्ते सुधारने की बात बेमानी है।
बंधकों की रिहाई भी अटकी
‘यरूशलम पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- पिछले दिनों इजराइली कैबिनेट में बंधकों की रिहाई पर करीब-करीब बात बन चुकी थी, लेकिन ऐन वक्त पर नेतन्याहू ने इसे टाल दिया। हमास की कैद में 7 अक्टूबर से फंसे बंधकों की रिहाई की मांग को लेकर इजराइल में कई दिनों से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन अब तक नेतन्याहू ने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।
कतर, फ्रांस और इजिप्ट होस्टेज क्राइसिस खत्म कराने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। पिछले हफ्ते नेतन्याहू कैबिनेट में इस पर सहमति भी बन गई थी, लेकिन नेतन्याहू ने कैबिनेट से बात किए बिना ही इस डील को खारिज कर दिया। दरअसल, नेतन्याहू और इजराइली सेना हमास की लंबे सीजफायर की मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है।
इजराइली फौज मानती है कि अगर लंबा सीजफायर हुआ तो हमास फिर एकजुट हो जाएगा और फौज की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। यही वजह कि इजराइल सरकार और सेना दोनों ही बंधकों की रिहाई के मामले पर ब्लैकमेल से बचकर चल रहे हैं।