भारत से सावधान रहे नेपाल... चीन की इस नसीहत में छिपा है दिल्ली का डर! काठमांडू में क्यों US को दिलचस्पी?
Updated on
16-06-2023 06:57 PM
काठमांडू : चीन ने नेपाल को भारत और अमेरिका से 'सावधान रहने' की सलाह दी है। नेपाल नेशनल असेंबली के स्पीकर इस समय चीन की यात्रा पर हैं। उन्होंने बताया कि उनके चीनी समकक्ष अधिकारी ने उनसे भारत और अमेरिका से सावधानी बरतने की अपील की है क्योंकि नेपाल में कुछ ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं जिनके मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। दरअसल नेपाल, अमेरिका और भारत के बीच नजदीकियों से चीन घबराया हुआ है। नेपाल 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करता है इसलिए चीन उसे अमेरिका और भारत के खिलाफ भड़का रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल की यात्रा पर गए स्पीकर गणेश प्रसाद तिमिलसिना की मुलाकात चीन के नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्थायी कमिटी के चेयरमैन चाओ लेजी से हुई। उन्होंने बताया, 'चीनी अधिकारी ने कहा कि नेपाल में चीन विरोधी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए।' इस पर नेपाली स्पीकर ने उनसे कहा कि उनका देश पहले से अपनी जमीन पर चीन के खिलाफ गतिविधियों की अनुमति नहीं देता है। लेकिन चीन ने इस पर और अधिक सावधानी बरतने के लिए कहा क्योंकि तिब्बती शरणार्थियों की तरफ से घुसपैठ की जा सकती है। इस मीटिंग में चीन की तरफ से भारत और अमेरिका का मुद्दा भी उठाया गया।
भारत-अमेरिका से सतर्क रहने की सलाह
रिपोर्ट के अनुसार नेपाली स्पीकर ने बताया, 'चीन नेपाल में भारत और अमेरिका की गतिविधियों को लेकर चिंतित है और उसने इन देशों से सावधान रहने की अपील की है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी के अनुसार चाओ लेजी ने वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करने और अपने देश में चीन विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए नेपाल की जमकर तारीफ की। एक तरफ जहां चीन नेपाल से दोस्ती बढ़ाने में लगा है तो वहीं अमेरिका और चीन के संबंध दशकों में सबसे निचले स्तर पर हैं। चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव भी किसी से छिपा नहीं है।
अमेरिका को चाहिए भारत की मदद
नेपाल की बात करें तो उसके संबंध भारत और चीन दोनों से ही अच्छे हैं। अमेरिका के कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि वॉशिंगटन भारत के साथ मिलकर नेपाल में चीन के प्रभाव को खत्म करना चाहता है। अमेरिकी विश्लेषक माइकल कुगेलमैन ने जनवरी में कहा था कि अमेरिका नेपाल को इंडो-पैसिफिक पॉलिसी के प्रमुख हिस्से के रूप में देखता है। उनके अनुसार, अमेरिका को यह लगता है कि भारत नेपाल में चीन के प्रभाव को कम कर सकता है और इसमें उसके पारंपरिक रिश्ते बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कालापानी सीमा विवाद सहित कई मुद्दों पर बातचीत की थी।
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