टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क ने सोमवार को अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को झूठा बताया है। उन्होंने हैरिस पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में झूठ फैलाने का आरोप लगाया है।
दरअसल, अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए कमला हैरिस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा था कि ट्रम्प अबॉर्शन को पूरे देश में बैन कर देंगे। हैरिस ने कहा था कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और वो खुद साथ मिलकर महिलाओं को उनका हक दिलाने की हरसंभव कोशिश करेंगे।
हैरिस ने अपने पोस्ट में कई बड़े मीडिया हाउस के आर्टिकल लगाए थे, जिसमें ट्रम्प के उन बयानों को शामिल किया गया था जिनमें उन्होंने अबॉर्शन पर बैन लगाने की बात कही थी। कमला हैरिस के पोस्ट का जवाब देते हुए इलॉन मस्क ने लिखा कि ट्रम्प ने 28 जून को हुई डिबेट में यह साफ कर दिया है कि वे अबॉर्शन पर रोक नहीं लगाएंगे।
मस्क बोले- झूठ फैलाने के लिए X का इस्तेमाल नहीं कर सकते राजनेता
मस्क ने आगे कहा कि अमेरिकी राजनेताओं को यह समझना होगा कि वह अब इस प्लेटफॉर्म पर और झूठ नहीं फैला सकते। दरअसल, अमेरिका के आगामी चुनाव में अबॉर्शन एक बड़ा मुद्दा है। जहां एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प इसके खिलाफ रहे हैं, तो वहीं बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी अबॉर्शन के समर्थन में रही है।
24 जून 2022 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को 50 साल पहले मिली अबॉर्शन की संवैधानिक सुरक्षा खत्म कर दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस फैसले को दुखद बताते हुए कहा था- कोर्ट ने आज जो किया है वो कभी नहीं हुआ। अमेरिकी महिलाओं का स्वास्थ्य और जीवन अब खतरे में है। यह फैसला अमेरिका को 150 साल पीछे धकेलने वाला है।
पहले मिसीसिपी और फिर पूरे अमेरिका में अबॉर्शन पर लगा था बैन
दरअसल, 2018 में अमेरिका के मिसीसिपी राज्य ने एक कानून पास किया था, जिसमें गंभीर मेडिकल इमरजेंसी छोड़कर सभी मामलों में गर्भधारण करने के 15 हफ्तों बाद अबॉर्शन पर रोक लगा दी गई थी। इसके 4 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई करते हुए मिसीसिपी के फैसले को सही मानकर इसे पूरे देश में लागू कर दिया था।
अमेरिका में साल 1969 में नोर्मा मैककॉर्वी (जेन रो) नाम की महिला ने अबॉर्शन लीगल कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी। । नोर्मा ने 1969 में राज्य के उस कानून को चुनौती दी, जिसके हिसाब से अबॉर्शन अवैध था। जेन रो ने जब अबॉर्शन को लीगल कराने करने के लिए याचिका दायर की थी, तब सरकारी वकील हेनरी वेड ने विरोध में जिरह की थी। इस वजह से इस मामले को दुनिया भर में 'रो बनाम वेड' नाम से जाना जाने लगा।
क्या है 'रो बनाम वेड' केस, जिससे अमेरिकी महिलाओं को मिला था अबॉर्शन का हक
दरअसल, 15 साल की उम्र में नोर्मा के चचेरे मामा ने उनका तीन हफ्तों तक रेप किया था। 16 साल की उम्र में उन्होंने एक तलाकशुदा आदमी से शादी की। नोर्मा का पति उनके साथ मारपीट करता था। ऐसे में वह अपनी मां के पास लौट गईं। पहले बच्चे के जन्म के बाद उन्हें ड्रग्स की लत लग गई थी, कुछ साल बाद उनके दूसरे बच्चे का जन्म हुआ।
21 साल की उम्र में जब वो तीसरी बार प्रेगनेंट हुई तो उन्होंने पहले तो गैंगरेप का झूठा दावा कर अबॉर्शन कराना चाहा, लेकिन पुलिस की जांच में गैंगरेप का सबूत नहीं मिलने से वो सफल नहीं हुईं। बाद में उन्होंने कहा कि वो अविवाहित और बेरोजगार हैं इसलिए गर्भपात करना चाहती हैं।
इस दौरान वो वकील लिंडा कॉफी और सारा वेडिंग्टन से मिलीं, जो गर्भपात की मांग करने वाली महिलाओं को तलाश रही थीं। 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले में फैसले देते हुए कहा था कि गर्भपात करना है या नहीं ये महिलाओं का अधिकार है। इसके बाद से ही अमेरिका के कई राज्य अबॉर्शन की सुविधा देने के लिए मजबूर हो गए।