मधुमक्खियों के महत्व को समझते हुए और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने मध्य प्रदेश की पहली 'बी ट्रेल' (Bee Trail) स्थापित की है। इस अनूठी पहल का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. एस.के. जैन ने किया। यह बी ट्रेल न केवल मधुमक्खियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाएंगी, बल्कि विद्यार्थियों को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझने में भी मदद करेगी।
बी ट्रेल क्या है
बी ट्रेल (Bee Trail) एक ऐसा रास्ता या क्षेत्र होता है, जहां मधुमक्खियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के पौधे, फूल और छत्ते लगाए जाते हैं, जो मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं और उनके लिए एक सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं। यह न केवल मधुमक्खियों के संरक्षण में मदद करता है, बल्कि पर्यावरण में परागण की प्रक्रिया को भी बढ़ावा देता है।
मधुमक्खियों को अक्सर शहद उत्पादन और उनके डंक के लिए जाना जाता है, लेकिन इनका पर्यावरण में और भी बड़ा योगदान है। मधुमक्खियां पौधों में परागण करके वनस्पतिक जगत को फलने-फूलने में मदद करती हैं। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण और कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण मधुमक्खियों का अस्तित्व खतरे में है, जिसका प्रभाव कृषि उत्पादन और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है।
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने यह बी ट्रेल स्थापित की है। यह पहल विद्यार्थियों को मधुमक्खियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करेगी। विश्वविद्यालय में कृषि, जैव विविधता और पर्यावरण विज्ञान जैसे कई पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिनके तहत विद्यार्थियों को फील्ड-आधारित अनुभवात्मक शिक्षा (field-based experiential learning) के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
इस परियोजना को मुंबई की संस्था अंडर द मैंगो ट्री (Under The Mango Tree) के तकनीकी सहयोग और DCB बैंक की CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) पहल के तहत स्थापित किया गया है। अंडर द मैंगो ट्री एक गैर-लाभकारी संस्था है जो मधुमक्खी पालन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करती है।
पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनेंगे विद्यार्थी
कुलगुरु प्रो. एस.के. जैन ने कहा, "यह बी ट्रेल न केवल मधुमक्खियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाएंगी, बल्कि विद्यार्थियों को प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने में भी मदद करेगी। हमारा उद्देश्य है कि विद्यार्थी इसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझें और उनके संरक्षण में योगदान दें।"
यह पहल मध्य प्रदेश में अपनी तरह की पहली है और इससे न केवल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, बल्कि आम जनता को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करने की उम्मीद है।