तारीख- 27 अगस्त 1979
एक परिवार आयरलैंड के क्लिफॉने गांव में छुट्टी मनाने पहुंचा। मछली पकड़ने के लिए परिवार के सभी लोग 29 फीट लंबी शैडो नाम की बोट पर सुबह रवाना हुए। अभी सिर्फ 15 मिनट ही हुए थे कि बोट में ब्लास्ट हो गया।
इस बोट पर भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की फैमिली थी। ब्रिटिश नौसेना के अफसर के तौर पर पानी में लंबा वक्त बिताने वाले माउंटबेटन की मौत भी पानी में ही हो गई। ब्लास्ट में माउंटबेटन के अलावा उनके दो जुड़वा नाती भी मारे गए।
माउंटबेटन की बेटी और जमाई इसमें बुरी तरह घायल हो गए। लॉर्ड माउंटबेटन भारत के आखिरी वायरसराय थे। भारत की आजादी में उनका क्या रोल था, एक 79 साल के रिटायर्ड बूढ़े की हत्या क्यों हुई, स्टोरी में विस्तार से जानें...
दूसरे विश्वयुद्ध में जापान को आत्मसमर्पण कराया
माउंटबेटन का जन्म 1900 में ब्रिटेन के विंडसोर में हुआ था। उनके पिता लुई बेटनबर्ग के राजकुमार थे। उनकी मां ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की पोती थी। रानी एलिजबेथ के पति प्रिंस फिलिप से उनकी काफी नजदीकी थी।
माउंटबेटन साल 1916 में ब्रिटेन की रायल नेवी में शामिल हो गए। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नौसेना का हिस्सा बनते हुए उन्होंने काफी बहादुरी दिखाई थी। सितंबर 1945 में माउंटबेटन ने सिंगापुर में जापान से दूसरे विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कराने में सफलता पाई थी।
भारत-पाक बंटवारे का आखिरी प्लान बनाया
डोमिनिक लैपीयर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी पुस्तक 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में माउंटबेटन के बारे में लिखा है कि ब्रिटेन के पीएम क्लीमेंट एटली ने जब भारत की आजादी की घोषणा की तो भारत में हालात बेकाबू हो रहे थे।
1 जनवरी को 1947 को एटली ने माउंटबेटन को मिलने को बुलाया। एटली चाहते थे कि माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय बनें। मार्च 1947 में माउंटबेटन जब भारत पहुंचे तो पिछले वायसराय लॉर्ड वैवल ने उन्हें एक फाइल सौंपी जिस पर लिखा था- ‘ऑपरेशन मैड हाउस’।
भारत के बंटवारे के कई फार्मूले इसी फाइल में थे। माउंटबेटन ने फाइल पढ़नी शुरू की और भारत-पाक बंटवारे का खाका तैयार किया। 15 अगस्त 1947 को इसकी स्वीकृति मिल गई और भारत के दो टुकड़े हो गए।
22 किलो विस्फोटक से माउंटबेटन की नाव को उड़ाया
माउंटबेटन 1948 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे। साल 1953 में माउंटबेटन ब्रिटिश नौसेना में वापस चले गए। माउंटबेटन नौसेना से साल 1965 में रिटायर हुए। माउंटबेटन और उनका परिवार गर्मी की छुट्टियां स्लिगो काउंटी के क्लासीबॉन कैसल में गुजारते थे।
हर साल की तरह इस बार भी वे क्लासीबॉन पहुंचे लेकिन इस बार हादसा हो गया। एक चश्मदीद ने बताया था कि ब्लास्ट से नाव के टुकड़े-टुकड़े हो गए और उसमें सवार सभी लोग पानी में गिर गए।
धमाके की आवाज सुनकर आस-पास के मछुआरे वहां पहुंचे और माउंटबेटन के परिवार को पानी से निकाला। विस्फोट की वजह से माउंटबेटन के पैर के परखच्चे उड़ गए थे। कुछ ही देर बाद माउंटबेटन की मौत हो गई।
माउंटबेटन पर लिखी किताब 'देयर लाइव्स एंड लव्स' के राइटर एंड्रयू लोनी लिखते हैं कि उनकी बोट पर 22 किलो विस्फोटक रखा गया था। ब्लास्ट इतना भयानक था कि बोट के चीथड़े उड़ गए।
माउंटबेटन को किसने मारा, 45 साल बाद भी रहस्य
माउंटबेटन के बोट पर हमले की जिम्मेदारी तब आयरिश रिपब्लिकन आर्मी यानी IRA ने ली थी। ये बम IRA के दो विद्रोहियों ने लगाया था। ये संगठन पूरे आयरलैंड को ब्रिटेन के कब्जे से मुक्त कराना चाहती था। लेकिन राज परिवार इसमें बाधा पहुंचा रहा था।
IRA इससे नाराज था और राज परिवार को सबक सिखाना चाहता था। यही वजह थी कि उसने राजपरिवार के बेहद करीबी लार्ड माउंटबेटन को निशाना बनाया। तब इस मामले में IRA थॉमस मैकमोहन (उम्र 31) और फ्रांसिस मैकगर्ल (उम्र 24) को गिरफ्तार किया गया। हालांकि बाद में इस दावे पर सवाल खड़े होने लगे।
पैट्रिक हॉलैंड नामक एक आयरिश पेशेवर अपराधी ने दावा किया था कि जेल में आरोपी मैकमोहन ने उसे बताया था कि उसने दूसरों को बचाने के लिए माउंटबेटन की हत्या का दोष अपने ऊपर ले लिया था। उनका हत्यारा अभी भी जेल से बाहर आजाद है।
माउंटबेटन को मारने की कोशिश पहले भी हुई
माउंटबेटन की हत्या के प्रयास IRA पहले भी कई बार कर चुकी थी। 1978 में ही उन्हें गोली मारने का प्रयास विफल हुआ था। माउंटबेटन को खुफिया विभाग ने चेताया था कि वे आयरलैंड ना जाएं और उनकी हत्या की साजिश रची जा सकती है, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया।
माउंटबेटन के आसपास सुरक्षाकर्मी तैनात रहा करते थे। उनके जहाज की अक्सर सुरक्षा जांच की जाती थी और निगरानी रखी जाती थी। लेकिन उनकी मौत से कुछ दिन पहले ही सुरक्षा हटा ली गई थी। अब भी इस बात पर सवाल उठते हैं कि राजपरिवार से इतने करीबी होने और एक बड़े अधिकारी होने के बावजूद माउंटबेटन की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया।
माउंटबेटन की हत्या को लेकर और भी कई थ्योरी सामने आई थी। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उनको ब्रिटिश इंटेलिजेंस ने मरवाया था। इसे लेकर काफी हंगामा भी हुआ था। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA का हाथ था।