चांद पर माइनस 253 डिग्री तापमान, यूं सोता दिखा चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर, फिर जिंदा होगा प्रज्ञान
Updated on
13-09-2023 01:40 PM
सोल: चांद के दक्षिण ध्रुव पर स्थित शिव शक्ति प्वाइंट की सतह पर सो रहे भारत के चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की एक नई तस्वीर सामने आई है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तस्वीर को दक्षिण कोरिया के दनूरी ऑर्बिटर ने खींची है। विक्रम लैंडर इस तस्वीर में एक छोटे से बिंदू की तरह से दिखाई दे रहा है। दक्षिण कोरिया के पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर को आधिकारिक रूप से दनूरी के नाम से जाना जाता है। यह पृथ्वी के बाहर दक्षिण कोरिया का पहला स्पेस मिशन है। इस ऑर्बिटर को 4 अगस्त 2022 को एलन मस्क के रॉकेट से भेजा गया था।
नासा के मुताबिक दक्षिण कोरियाई रॉकेट अब चांद की सतह की जांच कर रहा है और भविष्य के मिशनों के लिए संभावित लैंडिंग साइट की पहचान कर रहा है। इस दक्षिण कोरियाई ऑर्बिटर दनूरी से जो डेटा इकट्ठा किया जा रहा है, वह नासा के अर्तेमिस मिशन की योजना बनाने में मदद देगा। नासा इस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने जा रही है। नासा का इरादा चांद पर बर्फ की खोज करना और वहां बस्तियां बसाने के लिए संभावना की तलाश करना है। दनूरी ऑर्बिटर ने भारत के चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तस्वीर खींची है।
विक्रम को चांद पर थी 'हीटर' की जरूरत
चांद पर रात हो जाने की वजह से घुप अंधेरे में विक्रम लैंडर खामोश पड़ा है। इसरो के वैज्ञानिकों समेत दुनिया को उम्मीद है कि चांद पर दिन शुरू होने के बाद एक बार फिर से चंद्रयान 3 को जगाया जा सकेगा। इसरो वैज्ञानिक इसे जल्द ही जगाने का प्रयास करेंगे। इस समय चांद पर तापमान माइनस 253 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। न तो विक्रम लैंडर और न ही प्रज्ञान रोवर में चांद पर बचे रहने के लिए जरूरी हीटर नहीं लगे हैं जिससे उन्हें कड़ाके की ठंड झेलनी पड़ रही है। ये हीटर अंदर गर्मी देते रहते हैं ताकि उसमे लगे हार्डवेयर काम करते रहें। इसके लिए वे प्लूटोनियम या पोलोनियम का इस्तेमाल करते हैं।
इससे किसी स्पेसक्राफ्ट का हार्डवेयर बचा रहता है और वह भीषण ठंड में भी बचा रहता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस हीटर के बिना विक्रम लैंडर के बचे रहने की संभावना अब केवल भाग्य पर निर्भर करेगी। इससे पहले लूनोखोद 1 रोवर 10 महीने तक चांद पर सक्रिय रहा था और उसने 10 किमी तक की यात्रा भी की थी। वह सोलर ऊर्जा से चलता था। उसे पोलोनियम 210 रेडियोआइसोटोप हीटर की मदद से रात में भी ऊर्जा की सप्लाइ होती थी।
प्रज्ञान के जिंदा होने पर क्या बोले इसरो वैज्ञानिक?
चीन के रोवर चांग ई 3 पर भी इसी तरह का हीटर लगा हुआ है। सोने से पहले चंद्रयान 3 के रोवर प्रज्ञान की बैट्री पूरी तरह से चार्ज थी। इसरो के वैज्ञानिक अरुण सिन्हा के मुताबिक इस बात की बहुत कम संभावना है कि प्रज्ञान की बैट्री बची रहेगी और यह अगले 14 दिनों तक काम कर सकेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रज्ञान चांद की सतह पर भारत के दूत के रूप में मौजूद रहेगा।
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