ईरान में मसूद पजशकियान ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है। मंगलवार को ईरान की संसद में पजशकियान का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इसमें भारत और पाकिस्तान समेत कई देशों के नेता शामिल हुए थे।
जहां भारत का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया था तो वहीं पाकिस्तान की तरफ से उप-प्रधानमंत्री इशाक डार समारोह में शामिल हुए थे। पजशकियान ने 5 जुलाई को हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को 30 लाख वोटों से हराया था।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की 19 मई को हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद देश में राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की गई थी। ईरान में पहले चरण की वोटिंग 28 मई को हुई थी। इसमें कोई भी उम्मीदवार 50% वोट हासिल नहीं कर पाया था, जो चुनाव जीतने के लिए जरूरी है। हालांकि, पजशकियान 42.5% वोटों के साथ पहले और जलीली 38.8% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे।
ईरान के संविधान के मुताबिक, अगर पहले चरण में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है, तो टॉप 2 उम्मीदवारों के बीच अगले चरण की वोटिंग होती है। इसमें जिस कैंडिडेट को बहुमत मिलता है, वो देश का अगला राष्ट्रपति बनता है।
पत्नी-बेटी की मौत के बाद राजनीति में आए...
1954 में पैदा हुए मसूद पजशकियान की मां कुर्द थीं। वे ईरान के वेस्ट अजरबाइजान प्रोविंस में पैदा हुए। ये वही इलाका है जहां तैमूर के डर से बगदाद से भागे लोगों ने पनाह ली थी।
मसूद ईरान के किंग रेजा शाह के दौर में सेना में भी रहे थे। 1980 में जब इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया तो मसूद ने जंग के दौरान घायलों का इलाज किया। जंग के बाद वे कार्डियक सर्जरी के एक्सपर्ट बने।
1994 में उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौरा आया। एक कार एक्सीडेंट में उनकी पत्नी और एक बेटी की मौत हो गई। परिवार के दबाव के बावजूद उन्होंने दोबारा शादी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश अकेले की।
ट्विटर पर अपनी बायो में वे खुद को एक पति, पिता और दादा बताते हैं। पजशकियान ने पत्नी की मौत के 3 साल बाद ही राजनीति में एंट्री ली। वे ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद खतामी के कार्यकाल में हेल्थ मिनिस्टर बने।
पजशकियान पर खतामी के विचारों का काफी असर है। खतामी भी मॉडरेट नेता थे। उन्होंने सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी ईरान के फतवे को भी खत्म किया था। हालांकि 2019 में खामेनेई ने उस फतवे को फिर से एक्टिव किया था।
मुस्लिम देश में हिजाब के विरोधी, औरतों की आजादी की बात करते हैं
पजशकियान पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के करीबी हैं। डिबेट में वे कई बार हिजाब का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि किसी को मॉरल पुलिसिंग का हक नहीं है।
2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में हिजाब का विरोध हो रहा था। तब पजशकियान ने ईरान की सत्ता के खिलाफ जाते हुए एक इंटरव्यू में कहा था, "यह हमारी गलती है। हम अपनी धार्मिक मान्यताओं को ताकत के जरिए थोपना चाहते हैं। यह सांइटिफिक तौर पर मुमकिन नहीं है।"
पजशकियान ने कहा था, "देश में जो भी हो रहा है उसके लिए मेरे साथ-साथ धार्मिक स्कॉलर और मस्जिदें, सब जिम्मेदार हैं। एक लड़की को पकड़कर, उसे मारने की जगह सभी को आगे आकर बदलाव की जिम्मेदारी लेनी होगी।"
2022 में उन्होंने ईरानी औरतों की आजादी के गाने- 'औरत, जिंदगी, आजादी' को अपनी रैली में इस्तेमाल किया था। ये गाना ईरान में औरतों की आजादी के लिए चलाई गई कैंपेन 'बराए' से है ।
पजशकियान ने 'बराए' से प्रेरित होकर अपनी कैंपेन का नाम 'बराए ईरान' यानी 'फॉर द लव ऑफ ईरान' रखा। ये कैंपेन सार्वजनिक जगहों पर किस करने और नाचने की मांग करता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही पजशकियान औरतों की आजादी के हिमायती हों वे सुप्रीम लीडर खामेनेई की मंजूरी के बिना कुछ नहीं कर पाएंगे।
2012 में पजशकियान के चुनाव लड़ने पर लगी थी रोक
पजशकियान सबसे पहले 2006 में तबरीज से सांसद बने थे। वे अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं। 2011 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। 2012 में रईसी को राष्ट्रपति बनाने के लिए पजशकियान समेत बाकी उम्मीदवारों पर बैन लगा दिया गया था।
क्या ईरान में कोई बदलाव ला पाएंगे पजशकियान?
अमेरिकी थिंक टैंक चैथम हाउस के एक्सपर्ट समन वकील के मुताबिक पजशकियान ईरान के दूसरे राष्ट्रपतियों के मुकाबले ज्यादा मॉडरेट हैं। इससे उन्हें पश्चिमी देशों से डील करने में आसानी होगी। वे ईरान पर न्यूक्लियर प्रोग्राम के चलते लगी पाबंदियों में अमेरिका से कुछ रियायत हासिल कर सकते हैं।
पजशकियान ईरान में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को लागू करने और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए नीतियां अपनाने पर जोर देते हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है।
यह अपने सदस्य देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। ईरान 2019 से FATF की ब्लैक लिस्ट में है। इस वजह से IMF, ADB, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक तौर पर ईरान की मदद नहीं करती है।
उनके राष्ट्रपति बनते ही ईरान की सोशल पॉलिसीज में तुरंत बदलाव आने की संभावना है। पजशकियान को सत्ता ऐसे वक्त मिली है, जब मिडिल ईस्ट में जंग जारी है। ईरान पर आरोप लग रहे हैं कि वो लेबनान के हिजबुल्लाह के जरिए इजराइल से प्रॉक्सी जंग लड़ रहा है।
हालांकि पजशकियान का इजराइल पर वही स्टैंड है जो उनके पहले के राष्ट्रपतियों का रहा है। ऐसे में दोनों के रिश्तों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।