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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पूरी तरह से चुनावी मोड में आते हुए

Updated on 25-07-2023 11:06 AM
     मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अब राजनीतिक दल पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं और इसके चलते दोनों ही राज्यों में केंद्रीय नेताओं की आवाजाही काफी बढ़ गई है। भाजपा ने निर्णय किया है कि वह दोनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी इसलिए इन दोनों राज्यों की चुनावी गतिविधियां तथा रणनीति और प्रचार आदि सीधे-सीधे अमित शाह की ही देखरेख में संचालित होंगी।
        प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल से भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी जबलपुर में नर्मदा पूजन के बाद चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद कर दिया था और अब ग्वालियर में उनकी एक बड़ी चुनावी रैली हो चुकी है। उसके बाद से कांग्रेस काफी उत्साह है और कमलनाथ प्रियंका की पांच गारंटियों के उनके द्वारा उनके द्वारा सुझाए गए एक दो सुझावों को भी अपने वचन पत्र में शामिल करने की बात कह चुके हैं।
     छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के चुनिंदा नेताओं कार्यकर्ताओं को जीत के गुर सिखाते हुए अलग-अलग कुछ दायित्व भी सौंपा है। भाजपा जहां अपनी मैदानी जमावट करने में पूरी तरह से सक्रिय हो गई है और प्रदेश प्रभारी ओम माथुर निचले स्तर तक संगठन को दुरुस्त करने में अपना समय बिता रहे हैं। विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से उनकी सरकार के विरुद्ध गिर जाने के बाद भूपेश बघेल भी फुलफॉर्म में है। कांग्रेस ने भी 22 सदस्यीय चुनाव समिति का गठन कर दिया है जिसमें मंत्रियों, विधायकों सहित वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
      जहां तक मध्यप्रदेश का प्रश्न है यहां पर आए दिन भाजपा के कोई ना कोई बड़े नेता अपनी आमद दर्ज करा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर चुनाव प्रबंधन की कमान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपी जा चुकी है और उन्होंने पूरी शिद्दत से अपना काम भी प्रारंभ कर दिया है। अभी तक 2003 के बाद जितने विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें किसी न किसी रूप में तोमर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी उनकी अच्छी जुगलबंदी है और अन्य सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी उनके संवाद सूत्र जुड़े रहते हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं कि जनता का सुख-दुख मेरा सुख-दुख है और इस प्रकार वह अपने सीधे रिश्ते मतदाताओं से बना रहे हैं।
         प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने का वायदा कर अन्य मतदाताओं के बीच भी कांग्रेस की पैठ और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ग्वालियर की रैली में प्रियंका गांधी ने इन शब्दों के साथ कांग्रेस के अभियान का आगाज किया कि अब भाजपा जाए बे की बारी है, कांग्रेस आए बे की बारी है। प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश की जनता को कांग्रेस सरकार बनने पर गारंटियां दी कि सरकार बनने पर पुरानी पेंशन स्कीम लागू होगी, महिलाओं को मिलेंगे हर माह 15 सौ रुपये तथा रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये में मिलेगा, 100 यूनिट बिजली 
मुफ्त और 200 यूनिट बिजली आधे दाम पर मिलेगी। किसानों के कर्जमाफी का काम पूरा किया जाएगा। प्रियंका ने आरोप लगाया कि पैसों के बल पर बनाई गई भाजपा सरकार का ध्यान सिर्फ लूट और घोटालों पर है। कमलनाथ का कहना था कि जब  नौजवानों का भविष्य ही अंधकार में रहेगा तो प्रदेश का नवनिर्माण कैसे होगा ? इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित कुछ अन्य दल भी चुनावी समर में उतरने का मन बना रहे हैं और देखने वाली बात यही होगी कि आखिर यहां के मतदाताओं के गले किसकी बात उतरी और ये इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही पता चल सकेगा जब वह अपनी नई सरकार चुनेगा।

अरुण पटेल
-लेखक , संपादक 

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