साल 2017 में रिलायंस की 40वीं एजीएम को संबोधित करते हुए कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी को याद करते हुए भावुक हो गए थे। उनकी मां कोकिलाबेन अंबानी भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई थीं। धीरूभाई कहा करते थे कि अगर एक फोन कॉल एक पोस्टकार्ड से सस्ता हो जाए तो आप करोड़ों भारतीयों के जीवन में क्रांति ला सकते हैं। रिलायंस जियो ने न केवल फोन कॉल को फ्री कर दिया बल्कि हैंडसेट को भी काफी सस्ता बना दिया।
मुकेश अंबानी ने तब कहा था, 'ऐसा लग रहा है जैसे वह यहां बैठे हैं, मुस्करा रहे हैं, मुझसे और आप सबसे बातें कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि अब तुम मेरी जगह हो। रिलायंस को आगे ले जाने और सभी शेयरहोल्डर्स, पार्टनर्स और कर्मचारियों को आगे ले जाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम रिलायंस को और ऊंचाई पर ले जाओेगे।' इस पर वहां मौजूद शेयरहोल्डर्स ने We love jio के नारे लगाए। यह रिलायंस के मैनेजमेंट और शेयरहोल्डर्स के बीच की आत्मीयता को दिखाता है।
अमूमन कंपनियों की एजीएम में इस तरह की भावुक अपील के लिए जगह नहीं होती है। लेकिन रिलायंस की बात ही कुछ और है। यह एजीएम से ज्यादा रॉक कन्सर्ट या बड़े शादी समारोह की तरह होती है। इसका श्रेय रिलायंस के फाउंडर धीरूभाई अंबानी को जाता है। उन्होंने शुरू में ही इस बात को भांप लिया था कि मार्केट में लंबे समय टिकना है तो शेयरधारकों का विश्वास जितना जरूरी है। उन्होंने कभी भी शेयरहोल्डर्स को निराश नहीं किया। 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज सात गुना सब्सक्राइब हुआ था।
इसके बाद रिलायंस ने हर साल एजीएम का आयोजन करना शुरू किया। इसमें कंपनी के आम निवेशकों को बुलाया जाता था। धीरे-धीरे धीरूभाई अंबानी निवेशकों के बीच आईकॉन बन गए। वह रॉकस्टार की तरह निवेशकों के सामने आते थे। ऐसा रॉकस्टार जो गीत नहीं गाता था बल्कि डिविडेंड की घोषणा करता था। वह कंपनी की भविष्य की योजनाएं निवेशकों के सामने एजीएम में रखते थे। 1980 के दशक में वह मुंबई के कूपरेज ग्राउंड में एजीएम का आयोजन करते थे। कई बैंकर और ब्रोकरेज को अब भी वे दिन याद हैं।
एक रिटायर्ड ब्रोकरेज ने दो साल पहले ईटी से कहा था, 'एस्सार ग्रुप के प्रमोटर शशि रुइया जैसे कई लोग धीरूभाई का एक्शन देखने के लिए कूपरेज जाते थे। वे देखते थे की धीरूभाई निवेशकों से कैसे बात करते हैं। धीरूभाई अपनी बात पर खरा उतरते थे। उन्होंने जो कंपनी बनाई, उसमें निवेशकों ने कभी भी पैसा नहीं गंवाया।' उनकी कोशिश अपने विजन के जरिए छोटे निवेशकों के मन में विश्वास पैदा करना था। सज्जन जिंदल भी रिलायंस की एजीएम को देखने जाते थे ताकि उनसे बिजनस की बारीकियां सीख सकें। अगर कोई धीरूभाई से कोई शिकायत करता तो वह धैर्य से साथ सुनते और जवाब देते थे।
मई 1985 में उन्होंने मुंबई के कूपरेज फुटबॉल ग्राउंड्स को किराए पर लिया था। इसमें रिलायंस की एजीएम आयोजित की गई और 1984 के नतीजे पेश किए गए। इसमें करीब 12,000 शेयरहोल्डर्स ने भाग लिया था। कई तो ग्राउंड पर बैठे हुए थे। यह देश में किसी कंपनी के शेयरहोल्डर्स की सबसे बड़ी मीटिंग थी। इसमें अंबानी ने बताया कि कंपनी के मुनाफे में 58.6 प्रतिशत की बढ़त हुई है। साथ 672 करोड़ से अधिक के कंपनी के नए प्रोजेक्ट्स के बारे में बताया। इसी मीटिंग में रिलायंस ने अपने नाम के आगे से टेक्सटाइल नाम हटाने को लेकर भी मंजूरी ली गई।