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यहूदियों को धरती से खत्म करना होगा... इजरायल को क्‍यों दुनिया के नक्‍शे से मिटाना चाहता है ईरान, जानें दुश्‍मनी

Updated on 24-11-2023 01:51 PM
तेहरान: ईरान की सेना इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) गाजा युद्ध के बाद एक बार फिर चर्चा में है। आईआरजीसी इजरायल पर काफी ज्यादा आक्रामक है। वह लगातार इजरायल को खत्म कर देने की बात कह रही है। ईरान में आईआरजीसी सेना के समानांतर ही एक शक्ति है, जो इस्लाम की रक्षा की बात कहती है। इसके इजरायल पर इतने ज्यादा आक्रामक होने की वजह भाी विचारधारा ही है। इसकी विचारधारा यहूदियों के सफाए की बात कहती है। ऐसे में यह इजरायल पर खासतौर से हमलावर रहती है।

ब्रिटिश अखबार द सन ने आईआरजीसी अनुसंधान के निदेशक और इस्लामी चरमपंथ के विशेषज्ञ कासरा आराबी से संगठन की विचारधारा, हमास के साथ इस संगठन के संबंध और 7 अक्टूबर के हमले पर बात की है। अराबी का कहना है कि ईरान का आईआरजीसी ऐसे लड़ाकों से भरा है, जिनके में दिमाग में पश्चिम, ईसाइयों और यहूदियों के लिए गहरी और हिंसक नफरत है। आईआरजीसी की विचारधारा में गहरा यहूदी विरोध है, जो उसको हमास जैसे सगंठन के साथ जोड़ती है।

ट्रेनिंग से ही शुरू हो जाता है इजरायल विरोध

आईआरजीसी जब लड़ाकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू करता है तो वहीं से इजरायल विरोध शुरू हो जाता है। ट्रेनिंग में वही लड़ाकों को इजरायल को खत्म करने की कसमें दी जाती हैं। ट्रेनिंग में ईसाइयों, पारसी और यहूदियों के खिलाफ सशस्त्र जिहाद छेड़ने की बात नए लड़ाकों के दिमाग में डाली जाती है। वह ये विश्वास रखते हैं और उन्हें या तो इस्लाम में परिवर्तित होना चाहिए या उन्हें मार डाला जाना चाहिए। ये विचारधारा एक इमाम की धरती वापसी के आसपास केंद्रित है, जो करीब 1300 साल पहले गायब हो गए थे और एक दिन वापस आएंगे। ये मानते हैं कि उनके आने से पहले एक जंग होगी और उसमें सभी यहूदियों को खत्म कर दिया जाएगा। आईआरजीसी की पॉलिसी में भी इजरायल को खत्म करने की बात है।

अराबी के मुताबिक, हाल के सालों में ईरान के इजरायल विरोधी आतंकी समहूों से संबंध मजबूत हुए हैं। इसमें प्रशिक्षण, हमलों की रणनीतिक योजना, संसाधनों और वित्तीय वित्तपोषण जैसी चीजें शामिल हैं आईआरजीसी आर्थिक और सैन्य साजो-सामान के मामले में हमास का अहम समर्थक है। आईआरजीसी स्पष्ट रूप से हमास का वित्तीय समर्थक भी है। क्रिप्टो, वायर फंड और कैश के जरिए आईआरजीसी ने हमास को 100 मिलियन डॉलर सालाना तक का वित्त पोषण किया है, जो बीते सालों में और ज्यादा बढ़ गया है।

ईरानी मदद के बिना संभव नहीं था 7 अक्टूबर का हमला

अराबी का कहना है कि ईरान से मिलने वाली मदद की वह तंत्र हैं जिन्होंने हमास को 7 अक्टूबर के हमले के लिए सक्षम बनाया। आईआरजीसी की हरी झंडी और उनके समन्वय के बिना 7 अक्टूबर के हमले नहीं हो सकते थे। आराबी ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के हमलों का भी जिक्र किया। हूतियों ने हाल ही में एक मालवाहक जहाज का अपहरण कर लिया था। अराबी का कहना है कि आईआरजीसी 7 अक्टूबर के हमलों को इजरायल के साथ लंबे टकराव की शुरुआत के रूप में देखता है। उसका मानना है कि इजरायल को समय-समय पर चोट देना जरूरी है।

अराबी का ये भी मानना है कि पश्चिम एशिया में तनाव और टकराव का एक ऐसा दौर शुरू हो सकता है, जो हमने पहले नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम देशों के ईरान पर लगाए गए प्रभावी प्रतिबंध ही संघर्ष के कुछ पहलुओं को कम करने का एकमात्र तरीका है, खासकर जब बात उनके परमाणु हथियार की हो। जब तक तेहरान को परिणाम महसूस नहीं होता, तब तक तनाव बढ़ने का सिलसिला जारी रहेगा और 7 अक्टूबर जैसे और हमले होंगे।


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