'गाजा मेट्रो' पर सालों से इजरायल रख रहा था नजर, हमास के गढ़ में घुसी आईडीएफ, सता रहा बड़ा डर
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10-11-2023 01:55 PM
गाजा पट्टी: इजरायल की सेना ने गाजा में तेजी से अपना सैन्य अभियान बढ़ाया है। इजरायली सेना ने गाजा के दक्षिणी हिस्से का संपर्क भी बाकी शहर से काट दिया है। इजरायल भले फिलहाल इस लड़ाई में आगे दिख रहा हो लेकिन सुरंगों की लड़ाई का असली संघर्ष अभी बाकी है। बुधवार को इजरायल स्थित विदेशी पत्रकारों के एक ग्रुप को युद्ध क्षेत्र में ले जाया गया। इन पत्रकारों ने कहा है कि हवाई बमबारी और टैंकों के हमले में ज्यादातर इमारतें नष्ट हो गई हैं लेकिन गाजा की सबसे कठिन लड़ाई बाकी है, जो भूमिगत लड़ाई है। ये लड़ाई अभी तक गंभीरता से शुरू नहीं हुई है। इजरायली सैनिकों ने कुछ सुरंगों की पहचान करते हुए उन्हें नष्ट किया है, लेकिन यह एक बहुत छोटा सा हिस्सा है।
अल जजीरा की रिपोर्ट कहती है कि इजरायल ने अब तक अपने 34 सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की है। जब सुरंगों में युद्ध शुरू होगा, तो इजरायल को सैनिकों का ज्यादा नुकसान हो सकता है। सुरंगों में जाने के लिए इजरायली सेना को दशकों पुरानी और लंबे समय से भूली हुई सैन्य प्रथाओं का सहारा लेना होगा। हालांकि इजरायल 2014 से सुरंगों से निपटने की तैयारी कर रहा है। ड्रोन से लगातार निगरानी और खास किस्म के सॉफ्टवेयर इसके लिए किया जा रहा है। हमास सदस्यों का डेटाबेस भी इजरायल ने जुटाया है। इजरायल ने बाकायदा इसके लिए एक इकाई बनाई है। इस सबके बावजूद उसके सामने कई चुनौतिया हैं।
सुरंगों के एंट्री गेट की पहचान करना
सुरंगों में लड़ने के लिए इजरायल को ज्यादा से ज्यादा एंट्री के रास्तों की पहचान करनी होगी। 500 किमी तक फैली इन सुरंगों की संख्या हजारों में है। इनमें ज्यादातर के एंट्री गेट रिहायशी इमारतों, गैरेज, गोदामों के अंदर और बमबारी के बाद मलबे के ढेर के नीचे छिप गए हैं। एंट्री के दरवाजों को जानना उपयोगी है लेकिन जानकारी में आए सभी एंट्री गेट पर हमला भी कर दिया जाए, तो भी यह सुरंगें हमास के लिए बेकार नहीं हो जाएंगी। इसकी वजह ये है कि ज्यादातर सुरंगों के कई एंट्री गेट होते हैं।
सुरंगों की लड़ाई में हमास को बड़ा फायदा है ये है कि उन्हें नेटवर्क का पता है। इजरायली सॉफ्टवेयर कुछ बातें जरूर बताता है लेकिन सुरंगों की दिशाओं को पूरी तरह से नहीं पकड़ पाता है। ऐसे में सटीकता के साथ सुरंगों का नक्शा बनाने के लिए कमांडो को भारी खतरों और कठिनाइयों का सामना करते हुए अंदर जाना होगा। सुरंग के नीचे जाने पर जीपीएस पोजिशनिंग उपकरण बेकार हो जाते हैं क्योंकि सिग्नल मिट्टी में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उन उपकरणों का उपयोग करना होगा जो चुंबकीय सेंसर को जोड़ते हैं। जो भूमिगत होने से प्रभावित नहीं होते हैं।
सुरंगों के अंदर की चुनौती
सुरंगों के अंदर जाने पर भी कई चुनौतियां होंगी। वे बाहर अपना संदेश भेजने के लिए रेडियो का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। उन्हें दशकों पुरानी फील्ड टेलीफोन तकनीक का उपयोग करना होगा। सुरंगों में अगर उन्हें हमास के प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़े, फिर भी उन्हें हर जंक्शन पर रुकना होगा और आकलन करना होगा कि ये सुरंगे किस तरफ जा रही हैं।
कुछ विश्लेषण यह कहते हैं कि सुरंगों में कोई विरोध नहीं है। यह पूरी तरह से अवास्तविक है। हमास ने निश्चित रूप से उग्र प्रतिरोध करने की तैयारी की है। अधिकांश सुरंगें इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से फंसी हुई हैं। इन्हें रिमोट डेटोनेटर से जोड़ा जा सकता है, लेकिन इन्हें विशेष डेटोनेटर से भी ट्रिगर किया जा सकता है। सुरंगें तारों और केबलों से सजी हैं जो बिजली, इंटरनेट, टेलीफोन और सैन्य लाइनें ले जाती हैं। हमास के पास अवलोकन और पता लगाने वाले उपकरण हो सकते हैं जो उन्हें बताएंगे कि इजरायली सैनिक कहां हैं ताकि वे उस सटीक स्थान पर दूर से विस्फोट कर सकें।
हमास को किसी भी तरह बाहर निकालना
हमास इजरायली सेना को कुछ सुरंगों में प्रवेश करने से नहीं रोक सकता है, लेकिन उन्हें आसानी से ऐसा करने से जरूर रोक सकता है। इजरायली कमांड को पता है कि तकनीक और हथियारों के मामले में उसे जमीन के ऊपर की लड़ाई में फायदा है। इसलिए वह हमास को बाहर निकालकर जमीन पर लड़ना पसंद करेगा। ऐसा करने के लिए वह आंसू गैस जैसे रसासन का इस्तेमाल कर सकता है। माना जा रहा है कि हमास के पास सुरंग में छुपे लड़ाकों के लिए जरूरी मास्क नहीं है। ऐसे में कोई भी गैस इनको तंग कर सकती है। अतीत में सुरंगों में पानी भरकर उनमें रहने वालों को बाहर निकालने के लिए मजबूर किया जाता रहा है। इसमें भी एक दिक्कत है क्योंकि लेकिन गाजा में पर्याप्त पानी नहीं है।
सुरंगों को नष्ट करना
शहरी लड़ाई कठिन है, इसके लिए विशिष्ट ज्ञान और उपकरणों की आवश्यकता होती है। सुरंग युद्ध और भी अधिक चुनौतीपूर्ण और विशिष्ट है। सुरंग में सभी हथियार काम नहीं करते हैं। सुरंग के अंदर हथियारों की फ्लैश और आवाज बहुत मुश्किल पैदा कर सकती है। हमास को सुरंगों की आवश्यकता है। ऐसे में हो सकता है कि वह केवल उनमें से कुछ को सामरिक रूप से अवरुद्ध करना चाहता हो, लेकिन दुश्मन को किसी विशेष सुरंग का उपयोग करने से रोकने के लिए विस्फोट करके उन्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं करना चाहता हो।
ज्यादातर मामलों में, यह केवल सुरंगों के अंदर विस्फोटक रखकर नहीं किया जा सकता है। अधिक स्थायी विध्वंस के लिए, आमतौर पर सुरंग की दीवारों और छतों में गहरे छेद करना, उन्हें विस्फोटक डायनामाइट से भरना और विस्फोट करना आवश्यक होता है। जिससे गहरी संरचना हिल जाए और उसे भरने के लिए मिट्टी धंस जाए। लड़ाई के दौरान इतने बड़े काम को करना असंभव लगता है। इसलिए इजरायल को पहले हमास के लड़ाकों को मारना और फिर उनके पूरे भूमिगत नेटवर्क को ध्वस्त करना अपना काम लग सकता है। सुरंगों को नष्ट करने से पहले उसे भूमिगत युद्ध जीतना होगा, जिसमें समय लगेगा। इसके बाद फिर सुरंगों को तबाह करना होगा, इस सबसे इतना तो साफ है कि इसमें इजरायल को महीनों लग सकते हैं।
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