इजराइल ने शुक्रवार सुबह ईरान के 4 एटमी और 2 सैन्य ठिकानों पर 200 फाइटर जेट से मिसाइलें दागीं। हमले में ईरान के सेना प्रमुख, स्पेशल फोर्स के चीफ, 2 बड़े परमाणु वैज्ञानिक समेत 5 बड़े अफसर मारे गए।
हमले के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा कि ईरान परमाणु बम तैयार करने वाला था, इसलिए उस पर हमला किया गया। इजराइली सेना का दावा है कि ईरान के पास 15 परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम है।
इजराइल ने इसीलिए टारगेट भी 4 बड़े न्यूक्लियर प्लांट्स को किया। वहीं हथियार बनाने की क्षमता रखने वाली एक फैक्ट्री और बड़े मिलिट्री अफसरों के रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स को भी तबाह कर दिया।
1. नतांज- एटॉमिक फैसिलिटी सेंटर
तेहरान से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण में मौजूद इस सेंटर की सैटेलाइट तस्वीरें पहली बार 2002 में सामने आई थीं। कई रिपोर्ट्स में अनुमान लगाया गया है कि इस साइट पर 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम मौजूद है।
हमला क्यों हुआ
यहां एडवांस सेंट्रीफ्यूज लगे हैं। इस मशीन की मदद से यूरेनियम-235 की सफाई होती है जिसका इस्तेमाल हथियार बनाने में किया जाता है। IAEA की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान 60% संवर्धन तक पहुंच चुका है, जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम के करीब है। इजराइली पीएम नेतन्याहू ने इसे 'ईरान का सबसे बड़ा परमाणु खतरा' बता चुके हैं।
IAEA रिपोर्ट
अंडरग्राउंड साइट को 7.6 मीटर मोटी कॉन्क्रीट की दीवार से ढंका गया था, लेकिन फिर भी हमले में मुख्य ट्रांसफॉर्मर को नुकसान पहुंचा।
2. तेहरान- एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान
राजधानी में तेहरान न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर (TNRC) है। इसकी स्थापना 1967 में अमेरिका की मदद से हुई थी। TNRC में 600 ग्राम तक प्लूटोनियम उत्पादन करने में सक्षम है, जो परमाणु हथियारों के लिए संवेदनशील माना जाता है।
इसके साथ ही तेहरान ईरान की राजधानी है। यहां पर संसद के अलावा सरकार के सभी अहम ऑफिस है। ईरान के सुप्रीम लीडर का अयातुल्ला खामेनेई भी यही रहते हैं। इसके अलावा तेहरान में कई अहम मिलिट्री ठिकाने और एयरपोर्ट्स हैं।
तेहरान के आसपास इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कई ट्रेनिंग सेंटर और हथियार डिपो हैं।
IRGC कमांडर हुसैन सलामी, सेनाध्यक्ष मोहम्मद बघेरी और सभी परमाण वैज्ञानिकों की मौत तेहरान पर हुए हमले में ही हुई है।
हमला क्यों हुआ
इजराइल ने नेतृत्व पर सीधा हमला कर यह जताया कि वो ईरान के सबसे सुरक्षित केंद्रों तक पहुंच सकता है।
3. इस्फहान- परमाणु टेक्नोलॉजी सेंटर
इस शहर में यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी है, जहां कच्चे यूरेनियम को गैस में बदला जाता है।
यहां न्यूक्लियर फैसिलिटी की शुरुआत साल 1999 में हुई।
इस शहर में ईरान का एक बड़ा एयरबेस भी है, यहां पुराने अमेरिकी F-14 टॉमकैट फाइटर जेट रखे गए हैं, जो ईरान ने 1979 की क्रांति से पहले खरीदे थे।
माना जा रहा है कि इस बार के हमले में एयरबेस पर स्थित एक रडार केंद्र को निशाना बनाया गया था।
इस्फहान में हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियां भी हैं, जिनमें से एक पर पिछले साल भी इजराइल ने हमला किया था।
इस बार 3 ड्रोन से यहां हमला हुआ। ईरानी अधिकारियों ने कहा कि दो ड्रोन मार गिराए गए और एक ने फैक्ट्री की छत को थोड़ा नुकसान पहुंचाया।
हमला क्यों हुआ
ईरान की वायुसेना और रक्षा सिस्टम को कमजोर करना और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को हथियार मिलने से रोकना।