ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई ने आरोप लगाया कि भारत में मुस्लिम पीड़ित हैं। खामेनेई ने सोमवार (16 सितंबर) को एक्स पर पोस्ट करते हुए भारत को उन देशों में शामिल किया, जहां मुस्लिमों को पीड़ा झेलनी पड़ रही है।
खामेनेई ने लिखा कि दुनिया के मुस्लिमों को भारत, गाजा और म्यांमार में रह रहे मुस्लिमों की तकलीफ से अनजान नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप उनकी पीड़ा को नहीं समझ सकते तो आप मुस्लिम नहीं हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा- अपना रिकॉर्ड देखें
खामेनेई की इस टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि हम खामेनेई के बयान की निंदा करते हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ये पूरी तरह से भ्रामक है।
मंत्रालय ने कहा कि अल्पसंख्यकों के मामले पर कमेंट करने वाले देशों को पहले अपने रिकॉर्ड को देखना चाहिए। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान को एक्स पर शेयर भी किया।
इससे पहले कश्मीर के मुद्दे पर भी खामेनेई कई बार विवादित बयान देते आए हैं। साल 2017 में खामेनेई ने कश्मीर की तुलना गाजा, यमन और बहरीन से की थी।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के कुछ दिन बाद खामेनेई ने सोशल मीडिया पर लिखा था- "हम कश्मीर में मुस्लिमों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि भारत कश्मीर में मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।
खामेनेई की मुस्लिम समुदाय से एकजुटता की अपील
खामेनेई ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए दुनिया भर के मुस्लामानों से धार्मिक एकजुटता (इस्लामिक उम्माह) की अपील की है। उन्होंने ने मुस्लमानों की एकजुट पहचान को बचाए रखना बेहद जरूरी बताया।
खामेनेई ने कहा कि "इस्लामिक उम्माह एक बुनियादी मुद्दा है, जो देशों की सीमाओं और पहचान से परे है। कई लोग इस्लामी जगत और खासतौर पर ईरान में धार्मिक मतभेदों को बढ़ा रहे हैं।"