ईरान-भारत का प्लान, चाबहार बंदरगाह में आर्मेनिया की एंट्री, पाकिस्तान-तुर्की और अजरबैजान की उड़ेगी नींद!
Updated on
09-11-2023 01:55 PM
तेहरान: आर्मेनिया ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में शामिल होने की रुचि दिखाई है। आर्मेनिया इसके लिए बातचीत कर रहा है। उसका भारत और बाकी एशियाई देशों तक पहुंच बनाना है। ऐसे में अगर वह चाबहार बंदरगाह में शामिल होता है, तो उसका यह सपना आसानी से पूरा हो सकता है। दक्षिण कोकेशियान देश बिना रुके कनेक्टिविटी के लिए अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर यानी आईएनएसटीसी और चाबहार बंदरगाह के बीच शीघ्र संपर्क की उम्मीद कर रहा है। सूत्रों की तरफ से यह जानकारी दी गई है।
पहले आर्मेनिया तक पहुंचाए हथियार आर्मेनिया के उप विदेश मंत्री मनत्सकन सफरियान ने ईटी के साथ बातचीत में इस बारे में अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा, 'अर्मेनियाई प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में चाबहार बंदरगाह के उपयोग पर मुंबई में एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया है। हम बंदरगाह में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी के बीच कनेक्टिविटी जल्द ही पूरी हो जाएगी। जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे लगता है कि यह लिंक एक साल के अंदर पूरा हो जाएगा।' यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब कुछ समय पहले ईरान के रास्ते भारत ने आर्मेनिया तक हथियारों की खेप पहुंचाने की खबरें आई थीं। कुछ महीने पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले साल भारत ने आर्मेनिया को मिसाइलों, रॉकेटों और गोला-बारूद के एक अहम सौदे से जुड़े ऑर्डर को मंजूरी दी थी।
ईरान, भारत और आर्मेनिया की तिकड़ी चाबहार बंदरगाह में शामिल होने के लिए आर्मेनिया की उत्सुकता भारत, ईरान और आर्मेनिया के त्रिपक्षीय समूह के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इस साल अप्रैल में आर्मेनिया की राजधानी येरेवन में एक बैठक के दौरान, तीनों पक्षों ने आर्थिक परियोजनाओं और क्षेत्रीय संचार चैनलों पर चर्चा की थी। आर्मेनिया ने भारतीय व्यापारियों को रूस और यूरोप से जोड़ने के लिए आईएनएसटीसी के समानांतर ईरान के माध्यम से फारस की खाड़ी-काला सागर गलियारे या आईएनएसटीसी की एक नई शाखा के हिस्से का प्रस्ताव दियाहै। भारत और आर्मेनिया के बीच संबंध नए रणनीतिक आयाम तक पहुंच रहे हैं।
परेशान होंगे, तुर्की, पाकिस्तान और अजरबैजान! अगर आर्मेनिया, चाबहार बंदरगाह में शामिल हो जाता है तो पाकिस्तान और तुर्की की परेशानियां बढ़ सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि जहां ईरान और अजरबैजान दोनों शिया बहुसंख्यक देश हैं, वहीं तेहरान के ऐतिहासिक रूप से आर्मेनिया के साथ रिश्ते हमेशा से मधुर रहे हैं। ईरान और आर्मेनिया भी ऊर्जा साझेदारी साझा करते हैं। ईरान भी सदियों से अर्मेनियाई प्रवासियों की मेजबानी करता रहा है। अगर बात पाकिस्तान की करें तो इस साल उसने तुर्की में ईरान के साथ एक डील साइन की है। पाकिस्तान और ईरान के बीच व्यापार सहयोग के लिए पांच अरब डॉलर वाली योजना से जुड़े सौदे पर साइन हुए हैं। चाबहार में आर्मेनिया का आना ऐसे में पाकिस्तान के लिए भी मुश्किल वाली बात हो जाएगी क्योंकि वह अजरबैजान का करीबी है। आर्मेनिया और अजरबैजान की दुश्मनी दुनिया से छिपी नहीं है।
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