बांग्लादेश में 11 दिन के बाद रविवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया गया। हाल ही में सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को लेकर छात्रों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद सरकार ने 18 जुलाई को इंटरनेट बंद कर दिया था।
द डेली स्टार अखबार की खबर के मुताबिक, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जुनैद अहमद पलक ने कहा कि इंटरनेट बंद करने का फैसला अफवाहों को रोकने के लिए किया गया था।
उधर, छात्रों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनके नेताओं को नहीं छोड़ा गया तो विरोध प्रदर्शन दोबारा शुरू किया जाएगा। दरअसल, प्रोटेस्ट के दौरान पुलिस ने स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के चीफ नाहिद इस्लाम को गिरफ्तार कर लिया था। छात्रों का कहना है कि उनको रिहा किया जाए और उनके खिलाफ सारे मामले हटाए जाएं।
प्रदर्शनकारियों ने मेट्रो जलाई तो रो पड़ीं हसीना
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना गुरुवार को आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शन के बाद हुए नुकसान को देखने के लिए मीरपुर-10 मेट्रो स्टेशन का दौरा करने पहुंची। इस दौरान मेट्रो स्टेशन में हुई तोड़-फोड़ को देखकर शेख हसीना के आंसू निकल पड़े। शेख हसीना अपने आंसुओं को टिशू पेपर से पोछतें हुए नजर आईं।
मेट्रो स्टेशन की हालत देखकर हसीना ने कहा कि आम लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई व्यवस्था के साथ कोई कैसे तोड़फोड़ कर सकता है। ऐसी कौन सी मानसिकता है जो उन्हें ऐसे काम कराती है। PM ने आगे कहा कि ढाका शहर जाम से परेशान रहता था। मेट्रो बनी तो लोगों को राहत मिली लेकिन अब इसे बर्बाद कर दिया गया। मैं इसे बर्दास्त नहीं कर सकती।
उनकी इस बयान से लोगों का गुस्सा फिर भड़क गया। शेख हसीना की रोते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।
नौकरियों में आरक्षण के विरोध में सड़क पर उतरे थे प्रदर्शनकारी
बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56% आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद से ही बांग्लादेश में हिंसा का दौर शुरू हो गया। न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
हालात बिगड़ने के बाद सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाते हुए प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। हालात संभालने के लिए पुलिस की जगह सेना तैनात की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में बदलाव किया
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण देने के ढाका हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने रविवार को आदेश जारी करते हुए आरक्षण को 56% से घटाकर 7% कर दिया। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5% आरक्षण मिलेगा जो पहले 30% था। बाकी 2% में एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 93% नौकरियां मेरिट के आधार पर मिलेंगी।
बांग्लादेश में कैसी थी आरक्षण की व्यवस्था
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल से वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20% सीटें रखी गईं।
1976 में पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण को 20% कर दिया गया। इससे सामान्य छात्रों को 40% सीटें हो गईं। 1985 में पिछड़े जिलों का आरक्षण और घटा कर 10% कर दिया गया और अल्पसंख्यकों के लिए 5% कोटा जोड़ा गया। इससे सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें हो गईं।
शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को ही आरक्षण मिलता था, लेकिन 2009 से इसमें पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी 1% कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल कोटा 56% हो गया।