मणिपुर में इंटरनेट पर लगा रहेगा बैन, सरकार ने सातवीं बार 10 जून तक बढ़ाई तारीख
Updated on
06-06-2023 07:04 PM
इंफाल: मणिपुर में हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच, अफवाह, वीडियो, फोटो और संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट बैन को बढ़ा दिया गया है। सोमवार को सातवीं बार इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को 10 जून तक बढ़ा दिया गया। सरकार का मानना है कि इससे जातीय हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। गृह आयुक्त एच. ज्ञान प्रकाश ने 10 जून तक इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को बढ़ाते हुए एक नई अधिसूचना जारी की। मणिपुर के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अभी भी घरों और परिसरों में आगजनी जैसी घटनाओं की खबरें आ रही हैं।
राज्य सरकार ने जारी किया आदेश
राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया, 'ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व छवियों, अभद्र भाषा और जनता के जुनून को भड़काने वाले अभद्र वीडियो संदेशों के प्रसारण के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं। इसके चलते राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
मेइती को एसटी दर्जा देने पर भड़की थी हिंसा
मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध पर राज्य में हिंसा भड़की थी। यहां ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर के आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला, जिसके बाद 16 में से 11 जिलों में 3 मई को व्यापक हिंसा हुई थी। इसको देखते हुए मणिपुर सरकार ने हालात काबू करने के लिए इंटरनेट पर रोक लगाई थी।
इंटरनेट से मणिपुर में सब ठप
संघर्ष के बीच मणिपुर के लोग विभिन्न आवश्यक वस्तुओं, परिवहन ईंधन, रसोई गैस और जीवन रक्षक दवाओं की कमी का सामना कर रहे हैं। बैंकिंग में गड़बड़ी और ऑनलाइन सुविधाएं सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर रही हैं। पर्वतीय राज्य में एक महीने से अधिक समय से इंटरनेट बंद है। इंटरनेट सेवाओं के अभाव में ट्रैवल एजेंसियों, इंटरनेट आधारित सेवाओं, ऑनलाइन बुकिंग, मीडिया, छात्रों और व्यापार समुदाय को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
राजनैतिक पार्टियां और संगठन कर रहे बहाली की मांग
कांग्रेस सहित विभिन्न संगठन मणिपुर में इंटरनेट सेवा तत्काल बहाल करने की मांग कर रहे हैं। पिछले हफ्ते मणिपुर उच्च न्यायालय के एक वकील चोंगथम विक्टर सिंह ने मणिपुर में यांत्रिक और बार-बार इंटरनेट बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि जब सरकार ने दावा किया कि राज्य सामान्य स्थिति में लौट रहा है। फिर उसी राज्य प्राधिकरण ने इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना जारी रखा।
अधिवक्ता शादान फरासत ने इंटरनेट बैन को लेकर याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है, 'इंटरनेट सेवाओं का निलंबन भाषण की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार और इंटरनेट के संवैधानिक रूप से संरक्षित माध्यम का उपयोग कर किसी भी व्यावसायिक और पेशेवर गतिविधि को करने के अधिकार के साथ हस्तक्षेप में घोर असंगत है।
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