भारत ने चीन और पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (13 जून) को कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। दरअसल, 7 जून को बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था।
बैठक के बाद जारी हुए जॉइंट स्टेटमेंट में चीन ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर में भारत की एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर विवाद रहा है। इस मसले को शांति के साथ UN चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों के तहत हल किया जाना चाहिए।
इसके बाद गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मामले में किसी भी देश को टिप्पणी या दखलंदाजी करने का हक नहीं है।
'इकोनॉमिक कॉरिडोर का काम भारत के हिस्से वाली जगह में मंजूर नही'
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC का कुछ काम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में होना है। भारत इस क्षेत्र में होने वाले किसी भी काम का विरोध करता है।
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के चीन दौरे के दौरान जिनपिंग ने एक बैठक में CPEC के तहत हाईक्वालिटी डेवलपमेंट और पहले से चल रही परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर सहमति जताई थी।
क्या है CPEC
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 2013 में की गई थी। इसमें पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काश्गर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है।
इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। CPEC के तहत चीन सड़क, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
हमारी सेनाएं किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार- रक्षा मंत्री
मोदी 3.0 में केंद्रीय मंत्रियों के शपथ लेने के बाद उनके कार्यभार संभालने का सिलसिला जारी है। गुरुवार (13 जून) को राजनाथ सिंह ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए रक्षा मंत्री के रूप में पदभार संभाला। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है। हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।
भारत को CPEC से इसलिए ऐतराज