रूसी लूना-25 के क्रैश होने में चीन का कितना हाथ लॉन्चिंग में था शामिल, फेल होते ही झाड़ा पल्ला
Updated on
22-08-2023 12:45 PM
मॉस्को: रूस के लूना-25 अंतरिक्ष यान के क्रैश होने से सबसे अधिक खुश चीन है। रूस ने लूना-25 के प्रक्षेपण और चंद्रमा पर लैंडिंग में चीन की मदद ली थी। यूक्रेन पर आक्रमण के कारण नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पहले से ही रूस के रोस्कोस्मोस से संबंध तोड़ चुके हैं। ऐसे में रूस के पास चीन की मदद लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। बताया जा रहा है कि लूना-25 के चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त होना सिर्फ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए ही झटका नहीं है, बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए भी शर्मिंदगी की बात है, जो चंद्रमा पर बेस बनाने के लिए रूस के साझेदार हैं। चीन और रूस के इस महत्वकांक्षी मिशन का उद्देश्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को अंतरिक्ष में चुनौती देना है।
चंद्रमा पर बेस खोलना चाहते हैं रूस-चीन
रूसी अंतरिक्ष यान लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। लूना-25 की लैंडिंग साइट उसी इलाके में है, जहां चीन और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों ने 2021 में एक ज्वाइंट बेस के निर्माण की घोषणा की थी। चीनी मीडिया ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि चीन के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट के चीफ और मुख्य डिजाइनर वू यानहुआ ने लूना-25 की लॉन्च में भाग लेने और दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बीच सहयोग को गहरा करने पर चर्चा करने के लिए रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन कोस्मोड्रोम में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
लूना-25 के क्रैश होते ही चीन ने किया किनारा
जब रूस का लूना-25 मिशन विफल हो गया तो चीन ने चुपचाप इससे किनारा कर लिया। चीनी मीडिया में लूना-25 की रिपोर्टें बहुत कम हो गई हैं। आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रविवार को केवल पांच वाक्य का एक छोटा संदेश जारी किया था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कंट्रोल वाले ग्लोबल टाइम्स के पूर्व संपादक हू जिजिन ने अखबार में एक ओपिनियन में लिखा कि ''"इस विफलता से रूस की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगने की उम्मीद है।'' उन्होंने यह भी कहा "पश्चिम को रूस को सिर्फ इसलिए कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि उसका चंद्र कार्यक्रम विफल हो गया है।" लूना-25 सोवियत संघ के अंत के बाद चंद्रमा पर उतरने का प्रयास करने वाला पहला रूसी अंतरिक्ष यान था।
भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन रूसी मिशन को ले डूबा!
अंतरिक्ष इतिहासकार अलेक्जेंडर जेलेज़्न्याकोव ने आरबीसी को बताया कि हमें सब कुछ फिर से सीखना होगा। हमें सीखना चाहिए कि आत्मविश्वास के साथ चंद्रमा तक कैसे उड़ान भरें, उसकी सतह पर आत्मविश्वास के साथ कैसे उतरें और उसके बाद ही चीन या अन्य देशों के साथ अकेले भव्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आगे बढ़ें। रैंड स्पेस एंटरप्राइज इनिशिएटिव के प्रमुख और रैंड कॉर्प के एक वरिष्ठ नीति शोधकर्ता ब्रूस मैक्लिंटॉक ने कहा कि रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और प्रतिबंधों के कारण ठप हो गया है। रूस के लिए यह वास्तव में बुरा है। जब बाहरी अंतरिक्ष अन्वेषण की बात आती है तो यह किसी भी विश्वसनीयता को हासिल करने का उनका लंबे समय से प्रतीक्षित, लगभग आखिरी मौका था।
रूस को कम महत्व दे रहा चीन
पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद से चीनी मीडिया ने चंद्र बेस (Lunar Base) में रूस की भूमिका को कम करके आंका है। रूस के विपरीत चीन चंद्रमा पर दूसरों को पछाड़ने के अपने प्रयास में सफल रहा है। चीन 2019 में चंद्रमा के एक दूर-दराज के इलाके में अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बना था। चार साल से अधिक समय बाद भी उसका युतु-2 चंद्र रोवर सक्रिय बना हुआ है। जेम्सटाउन फाउंडेशन के एक सीनियर फेलो और अंतरिक्ष नीति के शोधकर्ता पावेल लुजिन ने कहा, पर्दे के पीछे, चीन पहले से ही मानता है कि अंतरिक्ष भागीदार के रूप में रूस का महत्व सीमित है। उन्होंने कहा, "चीन को रूस के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि रूस चीन को कुछ भी नहीं दे सकता है।"
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