नई दिल्ली । महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के चलते लंबे समय से बंद धार्मिक स्थलों को दोबारा खोलने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के बाद राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले पर शिवसेना ने राज्यपाल कोश्यारी पर निशाना साधा है। शिवसेना के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने राज्यपाल पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया है कि राज्यपाल का पत्र साबित करता है कि वे संविधान को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, महाराष्ट्र सरकार संविधान में लिखे गए सेक्युलर शब्द के वास्तविक अर्थ को ध्यान में रखते हुए कोरोना वायरस की गंभीर स्थिति को लेकर फैसले ले रही है। ऐसे में, राज्यपाल का पत्र साबित करता है कि वे भारत के संविधान का पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे पहले, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी राज्यपाल कोश्यारी के पत्र का जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि राज्य में कोरोना वायरस संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा। ठाकरे ने कोश्यारी के सोमवार को लिखे पत्र के जवाब में मंगलवार को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार इन स्थलों को पुन: खोलने के उनके अनुरोध पर विचार करेगी। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि उनसे तीन प्रतिनिधिमंडलों ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोले जाने की मांग की है। कोश्यारी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और बीजेपी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था क्या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं उन्होंने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि क्या आपको कोई दैवीय प्रेरणा मिल रही है कि आप मंदिर नहीं खोल रहे हैं। क्या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? पहले तो आप इस शब्द से ही नफरत करते थे। उद्धव ठाकरे ने अपने जवाब में कहा कि यह संयोग है कि कोश्यारी ने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे बीजेपी पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं। ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है। ठाकरे ने कहा कि क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी। उन्होंने कहा, लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है।