गोधन न्याय योजना को हुए पूरे तीन साल ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार
Updated on
21-07-2023 06:29 AM
गोधन न्याय योजना को पूरे तीन साल हो गए। इस योजना को राज्य में आज ही के दिन 20 जुलाई 2020 को (हरेली तिहार) से शुरू किया था। छत्तीसगढ़ के पशुपालकों से दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदा जा रहा है जिससे बिहान समूह की महिलायें वर्मी कंपोस्ट तैयार करती हैं। तैयार किए गए वर्मी कम्पोस्ट को 10 रुपए प्रति किलो की दर से किसानों और जरूरतमंदों को बेचा जाता है। इससे ग्रामीण व महिलाओं की आमदनी में इजाफा हो रही है और उनकी आर्थिक स्थित में भी पहले से अधिक सुधार हो रही है। वही पशुपालक भी गोबर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। जिले की ग्रामीण महिलाओं ने गौठानों में गोबर बेच कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की है। वहीं स्वसहायता समूह की महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर अपनी आमदनी में इजाफा कर रही है। उनकी आर्थिक स्थिति पहले से और बेहतर हुई हैं। जिले में 19 जून की स्थिति में 3 लाख 20 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। वहीं 1 लाख 11 क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ। जिसका किसानों, सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं ने क्रय किया है। जिले के विकासखण्ड साजा के ग्राम बनियाडीह के सीमांत कृषक परिवार में भी ऐसा बदलाव आया है। गोधन न्याय योजना शुरू होने से पहले श्रीमती संतोषी बाई साहू के घर में मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब किताब नहीं था न ही गोबर एकत्र करने में कोई खास जतन किया गया। गोधन न्याय योजना शुरू होने से इन मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ गया है, अब वे अपने 7 मवेशियों का गोबर, गांव के जय मां दुर्गा महिला स्व सहायता समूह गौठान में नियमित रूप से बेच रही है। इसके एवज में हर 15 दिन में उनके बैंक खाते में पैसे भी समय पर आ जाता है। अब तक संतोषी बाई साहू ने 98842 किलो गोबर बेचा और इसके लिए 197684 रुपये उनके खाते में आ चुका है और 64 क्विंटल चारा समूह के द्वारा भी विक्रय किया। इस आमदानी ने पूरे परिवार को काफी सुकून दिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं, पुरुषों एवं युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए पिछले साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के शुभारंभ में प्रथम चरण में प्रदेश के विभिन्न जिलों में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया था। अब ग्रामीण इलाकों के चयनित गौठानों को ही रूरल इंडस्ट्रियल पार्काे में विकसित किया है। बेमेतरा जिले की बात करें तो यहाँ 8 गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में विकसित किया गया है। इनमें जिले के विकासखण्ड बेमेतरा अन्तर्गत ग्राम झालम में फेब्रिकेशन ईकाइ, गोबर पेंट निर्माण इकाई एवं ग्राम गांगपुर में उन्नत बीज उत्पादन, पूजन सामग्री उत्पादन यूनिट है। विकासखण्ड साजा के ग्राम राखी में केला तना रेशा से हैण्डमेड पेपर निर्माण, जैविक न्यूट्रियेंट निर्माण, कपड़ा एवं साड़ी निर्माण, कैण्डी एवं आचार निर्माण, हैण्डीक्राप्ट उत्पादन एवं ग्राम ओड़िया में मिनी राईस मिल डेयरी सामग्री निर्माण इकाई संचालित की गयी है। इसी तरह विकासखण्ड बेरला के ग्राम भांड़ में मशरुम उत्पादन, पोहा मिल एवं ग्राम सांकरा में स्टेशनरी यूनिट है। आफसेट प्रिंटिंग प्रेस प्रस्तावित है। विकासखण्ड नवागढ़ के ग्राम मोहतरा में प्लाईवुड निर्माण एवं फर्नीचर फेब्रिकेशन, एचडीपीई बैग निर्माण तथा ग्राम अमलडीहा में ब्लैक ब्रिक्स एवं चेकर टाईल्स, चौल लिंक फेसिंग, बायोडिग्रेडिबल बैग्स गतिविधियां संचालित की जा रही है। बेमेतरा विकासखंड के ग्राम सांकरा में महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में स्टेशनरी-प्रिंट यूनिट स्थापित की गयी है। स्थानीय युवा-युवतियों को रोजगार मिला है। युवा विकास समिति ग्राम सांकरा के युवा-युवतियों द्वारा कच्चा माल ला कर विभिन्न प्रकार की स्टेशनरी जैसे कॉपी, रजिस्टर, डायरी, फाईल, पम्पलेट, इत्यादि तैयार कर सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों, स्कूल, शाला आश्रमों में मांग अनुसार मुहैया करा रहे हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में स्व सहायता समूह की महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार के साथ आय के अच्छे साधन मिल रहे है, इससे ग्रामीण इलाकों के लोगों के साथ-साथ प्रदेश व जिले का भी विकास होगा।
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