नई दिल्ली । रेप केस में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाबाबाद के आदेश को रद्द करते हुए कहा है कि रेप पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों की कॉपी चिन्मयानंद को नहीं दी जाएगी। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयानों की कॉपी आरोपी चिन्मयानंद को देने के आदेश दिए थे, जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की मुमुक्ष आश्रम से गिरफ्तारी हुई थी। एसआईटी टीम ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर चिन्मयानंद को आश्रम से गिरफ्तार किया था। हालांकि, इसी साल फरवरी में कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी। चिन्मयानंद पर उनके ही कॉलेज में पढ़ने वाली कानून की एक छात्रा ने दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ गठित करवा कर पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया था। दरअसल, 24 अगस्त, 2019 को फेसबुक पर छात्रा ने एक वीडियो अपलोड किया था। उस वीडियो में बिना नाम लिए छात्रा ने अपने शोषण और दुराचार की बात कही थी। साथ ही कहा था कि उसे और उसके परिवार को एक बड़े संत से खतरा है। उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी। इस वीडियो के अपलोड होने के बाद हड़कंप मच गया। इस दौरान छात्रा के पिता ने मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाया कि उन्होंने बेटी के साथ दुराचार किया और अपहरण कर लिया। पर बाद में 27 सितंबर को दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण और धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया। इस दौरान पुलिस ने छात्रा को तलाश करना शुरू कर दिया था। 30 अगस्त को छात्रा की लोकेशन राजस्थान के दौंसा जिले के मेहंदीपुर में पुलिस को लोकेशन मिली। पुलिस ने वहां छापा मार कर एक गेस्ट हाउस से छात्रा और उसके साथी संजय को कब्जे में ले लिया। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए छात्रा को पेश करने का आदेश दिया। छात्रा को लेकर पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंची। कोर्ट में छात्रा ने अपने पिता और मां से बात करने के बाद ही बयान देने को कहा। कोर्ट ने तीन दिन का वक्त दिया, तब तक उसे दिल्ली में ही पुलिस सुरक्षा में रखा गया। पिता और मां को दिल्ली बुलाया गया। कोर्ट में छात्रा ने अपने बयान दिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिए। दरअसल, 24 अगस्त, 2019 को फेसबुक पर छात्रा ने एक वीडियो अपलोड किया था। उस वीडियो में बिना नाम लिए छात्रा ने अपने शोषण और दुराचार की बात कही थी। साथ ही कहा था कि उसे और उसके परिवार को एक बड़े संत से खतरा है। उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी। इस वीडियो के अपलोड होने के बाद हड़कंप मच गया। इस दौरान छात्रा के पिता ने मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाया कि उन्होंने बेटी के साथ दुराचार किया और अपहरण कर लिया। पर बाद में 27 सितंबर को दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण और धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया। इस दौरान पुलिस ने छात्रा को तलाश करना शुरू कर दिया था। 30 अगस्त को छात्रा की लोकेशन राजस्थान के दौंसा जिले के मेहंदीपुर में पुलिस को लोकेशन मिली। पुलिस ने वहां छापा मार कर एक गेस्ट हाउस से छात्रा और उसके साथी संजय को कब्जे में ले लिया। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए छात्रा को पेश करने का आदेश दिया। छात्रा को लेकर पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंची। कोर्ट में छात्रा ने अपने पिता और मां से बात करने के बाद ही बयान देने को कहा। कोर्ट ने तीन दिन का वक्त दिया, तब तक उसे दिल्ली में ही पुलिस सुरक्षा में रखा गया। पिता और मां को दिल्ली बुलाया गया। कोर्ट में छात्रा ने अपने बयान दिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिए।