अहमदाबाद |
केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष
गोयल ने शनिवार
को कहा कि
हाल ही में
पारित तीन कृषि
कानून गेम चेंजर
फैसले हैं जो
किसानों के जीवन
में सुधार लाएंगे
और उनकी आय
को बढ़ा कर
दोगुना करेंगे। श्री गोयल
ने कहा कि
किसानों को सशक्त
बनाना सरकार की
प्राथमिकता है।
मुंबई में एक “आउटरीच पहल” के एक हिस्से के रूप में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, रेलवे, वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि “संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों ने हमारे किसानों को उनकी उपज की बिक्री के दशकों पुराने बंधनों से मुक्त किया है। इससे देश के कृषि क्षेत्र में तेज विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।”
श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि नए कृषि कानून किसानों को उपज के दामों की प्रतिकूल परिस्थितियों में संविदात्मक संरक्षण प्रदान करते हैं और उन्हें अनुकूल बाजार मूल्यों का लाभ उठाने की स्वतंत्रता भी देते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अब सही कीमत पर, सही समय पर, सही जगह पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता के साथ अधिकार दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में, मंत्री महोदय ने कहा कि "एमएसपी कल था, आज भी है, कल भी रहेगा।" उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी तय किया है। इसके अलावा इसे कई और वस्तुओं तक बढ़ाया भी गया है। उन्होंने कहा, "एमएसपी दर और खरीद हाल के दिनों में कम मुद्रास्फीति की अवधि के दौरान भी बढ़ी है।"
श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने पिछले 6 वर्षों में नाफेड को लगातार 20 गुना तक ऋण गारंटी दी है, जिसके परिणामस्वरूप नाफेड से अधिक खरीद हुई है, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ी है, विशेषकर दलहन में।
मंत्री महोदय ने किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा लिए गए कई फैसलों की भी जानकारी दी, जैसे कि पीएम फ़सल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को सुरक्षा प्रदान करना, किसान क्रेडिट कार्ड का विस्तार और किसानों के लिए सस्ते ऋणों का प्रावधान। श्री गोयल ने कहा, "हमने नीम-कोटिंग को अनिवार्य बना दिया है, इससे उर्वरकों की कमी दूर हुई है तथा खेतों से उर्वरकों के विचलन की समस्या दूर हुई है।”
संविदा खेती के बारे में आशंका को निर्मूल बताते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि यह केवल एक विकल्प है, अनिवार्य नहीं है। उन्होंने दोहराया कि नया कानून किसानों को तीन दिनों के भीतर भुगतान का प्रावधान करता है और शिकायतों के निवारण के लिए, यदि कोई हो तो, संस्थागत तंत्र तैयार किया गया है।
मंत्री महोदय ने कहा कि किसान रेल सेवाओं को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। रेलवे और कृषि मंत्रालय किसान रेल गलियारों को संस्थागत रूप देने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि फलों और सब्जियों के लिए उसे मौसम अनुकूल बना सकें। "हम कृषि मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं। गोदामों को विकसित करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे कृषि उपज के अपव्यय की समस्या का स्थायी समाधान हो सके।” उन्हों ने कहा की “जल्दी खराब हो जाने वाली चीजों के परिवहन के लिए लिए शीतानुकूल रेलवे कोच शुरू करने के लिए हम कृषि मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं। गोदामों को विकसित करने की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे कृषि उपज के अपव्यय की समस्या का स्थायी समाधान हो सके।”
पहली किसान रेल को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के लिए झंडी दिखा कर रवाना किया गया। नागपुर से देश के विभिन्न भागों में संतरे के परिवहन के लिए नागपुर से किसान रेल सेवा शुरू करने का प्रस्ताव है, क्योंकि नारंगी मौसम शुरू हो गया है।