रूस में एक महिला को 12 साल के जेल की सजा सुनाई गई है। उसने यूक्रेन से जुड़ी एक चैरिटी संस्था रजोम को 50 डॉलर (करीब 4200 रुपए) चंदा दिया था। महिला का नाम कसेनिया खवाना (33) है। उसके पास अमेरिकी नागरिकता है।
कसेनिया को इस साल फरवरी में रूसी शहर येकातेरिनबर्ग से गिरफ्तार किया गया था। यह मॉस्को से 1600 किमी दूर पूर्व में स्थित है। यहां वह अपनी दादी से मिलने आई थी। शादी से पहले उसका नाम कसेनिया कैरिलिना था। उस पर पिछले हफ्ते ट्रायल चला था, जिसमें उसे दोषी ठहराया गया।
कोर्ट में कसेनिया पर आरोप लगा कि उसने यूक्रेनी संगठन को पैसे दिए जो यूक्रेनी सेना को हथियार और गोला-बारूद खरीदने में मदद करती है। कसेनिया के वकील ने कहा कि वो कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।
दादी से मिलने आई थी, फोन जब्त हुआ तो पकड़ में आई
वकील ने कहा कि कसेनिया ने पैसे ट्रांसफर करने की गलती मानी है, लेकिन उसे नहीं पता था कि ये संस्था यूक्रेनी सेना को पैसा भेजती है जिसका इस्तेमाल रूस के खिलाफ होता है। उसे कहा गया था कि इस फंड का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन जंग के पीड़ितों को मदद पहुंचाने में होगा।
कसेनिया पूर्व बैले डांसर है। उसने एक अमेरिकी नागरिक से शादी की और अमेरिका जाने के बाद 2021 में वहां की नागरिकता ले ली। कसेनिया जनवरी में रूस पहुंची थी। अमेरिका से आने की वजह से पुलिस ने उसका फोन जब्त कर लिया गया था।
पुलिस को फोन में फंडिंग का सबूत मिला। वह अमेरिकी वापस लौटने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया।
अमेरिका बोला- 50 डॉलर के लिए 12 साल की सजा देना गलत
बाइडेन सरकार में नेशनल सिक्योरिटी प्रवक्ता जॉन किर्बी ने खवाना की सजा की निंदा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी खवाना के मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ 50 डॉलर दान देने के लिए किसी को देशद्रोही कहना और उसे 12 साल की सजा देना बेतुका है।
कसेनिया के पति क्रिस ने CNN से कहा कि वह इस फैसले सै हैरान है। वह अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए तुर्की में इंस्तांबुल एयरपोर्ट तक आया था। वह बस एक महीने के लिए रूस गई थी, लेकिन अब उसे 12 सालों की सजा मिल गई है।
क्रिस ने कहा कि उसकी पत्नी को पॉलिटिक्स से कोई मतलब नहीं है। उसने किसी दोस्त के कहने पर चंदा दिया होगा।
क्रिस ने कहा कि पिछले बुधवार को उसने अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखी है। हालांकि, वह जानता है कि वो उसे कभी पढ़ने को नहीं मिलेगी, लेकिन फिर भी वो ऐसा कर रहा है।
रूस और पश्चिमी देशों के बीच कैदियों की अदला-बदली
कसेनिया का ये मामला तब आया है इसी महीने की शुरुआत में अमेरिका- रूस और पश्चिमी देशों के बीच कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई है। इस डील को तुर्किये की राजधानी अंकारा में कराया गया। इसके तहत अमेरिका, रूस और जर्मनी सहित 7 देशों की जेलों में कैद 26 कैदी रिहा किए गए। इसे शीत युद्ध के बाद से अब तक की सबसे बड़ी माना गया।
इनमें से 2 नाबालिग सहित 10 कैदियों रूस भेजा गया। वहीं 13 कैदियों को जर्मनी और 3 कैदी अमेरिका भेजे गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस डील के लिए पहले ही मंजूरी दे दी थी। पिछले 3 सालों में अमेरिका और रूस की बीच कैदियों की अदला-बदली से जुड़ी ये तीसरी डील थी।
इससे पहले अप्रैल 2022 और दिसंबर 2022 में दोनों देश के बीच कैदियों की अदला-बदली हुई थी।
अमेरिकी पत्रकार और नौसैनिक रिहा
अमेरिकी पत्रकार इवान गेर्शकोविच को भी डील के तहत रिहा किया गया। रूस ने पिछले साल मार्च में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए जासूसी करने के आरोप में इवान को गिरफ्तार किया था।इवान को 16 साल की सजा सुनाई गई थी।
इवान के अलावा 2 और अमेरिकी नागरिक रूस से रिहा हुए। इनमें अमेरिका नौसेना में शामिल रहे पॉल व्हेलन और रेडियो जर्नलिस्ट अलसु कुर्माशेवा थे। पॉल व्हेलन को रूस ने 2018 में जासूसी करने के लिए मॉस्को के एक होटेल से गिरफ्तार किया था। वहीं रेडियो जर्नलिस्ट अलसु को रूसी सेना के बारे में फेक न्यूज फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।