ब्रिटेन के ग्रेवसेंड के एक गुरुद्वारे में हेट क्राइम का मामला सामने आया। यहां 17 साल के नाबालिग ने श्रद्धालुओं पर कृपाण से हमला कर दिया। इसमें 2 पंजाबी युवतियां घायल हुई हैं। उन्हें हाथ-बाजू पर चोटें आई हैं।
पुलिस ने श्रद्धालुओं की मदद से आरोपी को पकड़ लिया है। इसके वीडियो भी सामने आए हैं। उसके माथे से खून बह रहा था। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। आरोपी किशोर ब्रिटिश नागरिक ही है।
घटना ग्रेवसेंड स्थित गुरु नानक दरबार गुरुद्वारा में गुरुवार शाम (ब्रिटेन के समयानुसार) सामने आई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक श्रद्धालु गुरुद्वारा परिसर में माथा टेक रहे थे। इस दौरान आरोपी किशोर सिख श्रद्धालु बनकर गुरुद्वारा परिसर में घुसा।
उसने माथा टेकते समय वहीं रखी कृपाण उठा ली। कृपाण लेकर वह श्रद्धालुओं की ओर बढ़ा और उन पर हमला करना शुरू कर दिया।
दो पंजाबी युवतियां हुईं घायल
इस घटना में दो पंजाबी युवतियां घायल हो गई। एक युवती के हाथ पर चोट आई, जबकि दूसरी की बाजू और हाथ से खून बह रहा था। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। युवतियों का कहना है कि अगर संगत आरोपी को काबू ना करती तो वे उन्हें मार ही डालता। वे मारने की नीयत से ही गुरुद्वारा परिसर में आया था।
पुलिस ने आरोपी को दिया इलेक्ट्रिक शॉक
घटना के बाद गुरुद्वारा परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं की भीड़ किशोर को रोकने के लिए आगे बढ़ी। गुरुद्वारा परिसर के बाहर खड़ी पुलिस भी तुरंत हरकत में आई और किशोर को काबू किया। इस दौरान उसने इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया गया।
पुलिस के अनुसार, स्थानीय निवासी ने घटना की जानकारी केंट पुलिस को दी। घटना के बाद से ही पुलिस के हेलिकॉप्टर मौके पर पहुंचे। घटना के कुछ ही देर बाद एयर एंबुलेंस गुरुद्वारे के मैदान में उतरी और घायलों को सुविधाएं मुहैया कराई।
सांसद डॉ. सुलिवन ने जताया दुख
ग्रेवेसेंड के लेबर सांसद डॉ. लॉरेन सुलिवन ने कहा कि गुरुद्वारे में हुई घटना से वह हैरान और दुखी हैं। उनकी संवेदनाएं घायल लोगों, उनके परिवारों और समुदाय के साथ हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन का तुरंत एक्शन लेने के लिए धन्यवाद दिया।
सिख धर्म में कृपाण का महत्व
कृपाण को सिख धर्म के पांच ककारों में से एक माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना करते समय पांच ककार केश (बिना कटे बाल), कड़ा (स्टील का कंगन), कृपाण, कचेरा (अंडरशॉर्ट्स) और कंघा को अनिवार्य बनाया था।
कृपाण को सिखों के लिए आत्मरक्षा का प्रतीक माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को सिखाया था कि वे हमेशा जरूरतमंदों की रक्षा के लिए तैयार रहें। कृपाण को सिखों के लिए आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।