भारत के डिफेंस सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने बुधवार को कहा है कि चीन दादागिरी कर रहा है और भारतीय सेना बॉर्डर पर डटकर उसका सामना कर रही है। भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस इंडस्ट्रियल को-ऑपरेशन बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में हुई INDUS-X समिट में अरमाने ने यह बात कही। उनके साथ अमेरिका के इंडो-पेसिफिक कमांड चीफ एडमिरल जॉन सी एक्विलिनो मौजूद थे।
रक्षा सचिव अरमाने ने कहा- लद्दाख में मई 2020 में चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद से अमेरिका ने खुफिया जानकारी और इक्विपमेंट के जरिए हमारी काफी मदद की है। हम इसके लिए उनका धन्यवाद करना चाहते हैं। इस बात की आशंका है कि हमें 2020 जैसी ही स्थिति का सामना दोबारा करना पड़ सकता है। यही वजह है कि हम हर वक्त सक्रिय रहते हैं।
रक्षा सचिव बोले- इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में शांति लाना सबसे अहम
अरमाने ने कहा- भारत इस वक्त चीन को लगभग हर मोर्चे पर टक्कर दे रहा है। जहां भी पहाड़ी है, हम वहां तैनात हैं और जहां सड़क है, हम वहां भी मौजूद हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि जब भी सपोर्ट की जरूरत होगी, अमेरिका वहां मौजूद रहेगा। इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखना बेहद अहम है।
रक्षा सचिव बोले- भारत और अमेरिका इस मामले में एक जैसे मूल्य और हित रखते हैं। ऐसे में हमें लगातार साथ मिलकर काम करना होगा। हमें एक साझा खतरे का सामना करने के लिए एक-दूसरे का समर्थन करते रहना होगा।
चीन ने देपसांग-डेमचोक से सेना हटाने की मांग ठुकराई
इससे पहले भारत-चीन के बीच 19 फरवरी को चुशुल-मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर 21वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर-लेवल की बातचीत हुई। 4 महीने बाद हुई इस बैठक में एक बार फिर से चीन ने तनाव कम करने की देपसांग और डेमचोक के ट्रैक जंक्शन से सेना हटाने की भारत की मांग को ठुकरा दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताए जा रहे नए आंकड़ों के मुताबिक चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) LAC के पश्चिम में लद्दाख और सेंट्रल में उत्तराखंड, हिमाचल के पास भारी हथियारों के साथ करीब 50-60 हजार सैनिकों को तैनात किया है। इसके अलावा पूर्वी क्षेत्र में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के पास 90 हजार सैनिक तैनात हैं। इनका सामना करने के लिए भारत ने भी LAC पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है।
भारत-चीन ने बॉर्डर इलाकों में शांति बनाने पर सहमति जताई
भारत और चीन के बीच 20वें राउंड की कॉर्प्स कमांडर-लेवल अक्टूबर में हुई थी। इस दौरान भारत के सैन्य अधिकारी ने चीन पर लद्दाख के देपसांग और डेमचोक से सेना हटाने का दबाव डाला था। हालांकि चीन ने तब भी इससे इनकार कर दिया था। दोनों देशों ने बॉर्डर इलाकों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई थी।
पिछले साल जून में PM मोदी के अमेरिका दौरे के बाद INDUS-X समिट की शुरुआत हुई थी। इसका लक्ष्य भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस इंडस्ट्रियल को-ऑपरेशन को बढ़ाना है। भारत का रक्षा मंत्रालय और अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस मिलकर इसे आयोजित करते हैं।
चीन ने कहा था- लद्दाख हमारा हिस्सा
दूसरी तरफ, दिसंबर 2023 में चीन ने कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की निंदा की थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था- इस फैसले का बीजिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ता। भारत-चीन बॉर्डर का पश्चिमी हिस्सा हमेशा से चीन का रहा है।
चीन ने आगे कहा था- हमने कभी भी भारत के एकतरफा और अवैध तौर पर स्थापित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये सच्चाई नहीं बदल सकती कि सीमा का पश्चिमी हिस्सा चीन का है।
आर्टिकल 370 हटने के एक साल बाद हुई थी गलवान झड़प
2019 में आर्टिकल 370 हटने के ठीक एक साल बाद 2020 में भारत-चीन के बीच गलवान झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन इसे लगातार छिपाता रहा। गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी।
गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों ने अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। साथ ही, इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था।