बड़े कॉरपोरेट घरानों पर संकट! OCCRP ला रहा इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स, मोदी के कट्टर विरोधी देते हैं फंड
Updated on
25-08-2023 02:09 PM
नई दिल्ली : भारत के जाने-माने कॉरपोरेट घरानों पर एक नई मुसीबत आने के संकेत मिल रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसी मुसीबत। खोजी पत्रकारों का एक ग्लोबल नेटवर्क ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स लाने की तैयारी कर रहा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार यह बड़े भारतीय कॉरपोरेट घरानों पर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट जारी करने के अंतिम चरण में है। ओसीसीआरबी को अरबपति इन्वेस्टर जॉर्ज सोरोस (George Soros) और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसे लोगों से फंडिंग मिलती है। सूत्रों के अनुसार, यह कॉरपोरेट घरानों को लेकर रिपोर्ट्स की एक सीरीज पब्लिश कर सकता है।
इस इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में कारोबारी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशकों के नामों का खुलासा किया जा सकता है। यह खुलासा किस या किन कारोबारी ग्रुप के बारे में होगा, इसे बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है।
मोदी सरकार के कट्टर विरोधी हैं जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस को मोदी सरकार का कट्टर विरोधी माना जाता है। वे समय-समय पर मोदी सरकार की आलोचना करते रहते हैं। जॉर्ज अपनी इकाई ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से ओसीसीआरपी की फंडिंग करते हैं। इसके अलावा फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन से भी ग्रुप को फंडिंग मिलती है। ओसीसीआरपी की स्थापना साल 2006 में हुई थी। ओसीसीआरपी का गठन एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका में फैले 24 गैर-लाभकारी जांच केंद्रों ने किया है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद टूट गए थे अडानी के शेयर
इससे पहले यूएस शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने इस साल की शुरुआत में 24 जनवरी को अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें अडानी ग्रुप पर कई आरोप लगाए गए थे। अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर के आरोप लगाए गए थे। साथ ही ग्रुप की कंपनियों को काफी अधिक ओवरवैल्यूड बताया गया था। इसके बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में खतरनाक ढंग से गिरावट आई थी। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।
एजेंसियों की है नजर
ओसीसीआरपी ऑर्गेनाइज्ड क्राइम पर बेस्ड रिपोर्टिंग में एक्सपर्टीज का दावा करता है। यह मीडिया घरानों के साथ साझेदारी के माध्यम से आर्टिकल पब्लिश करता है। भारतीय रेगुलेटरी एजेंसीज इस रिपोर्ट के रिलीज होने से घरेलू फाइनेंशियल मार्केट्स पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव पर बारीक नजर बनाए हुए है। ऐसा हो सकता है कि स्थिति अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद हुए प्रभाव जैसी हो।
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