पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी समुदाय के बीच हुए एक जमीन विवाद में 49 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इस विवाद की जड़ 30 एकड़ की जमीन है। इसके मालिकाना हक को लेकर कुर्रम जिले के बुशेहरा गांव में दो कबीलों के बीच विवाद है।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक ये लड़ाई पिछले सप्ताह बुधवार को दो परिवारों के बीच शुरू हुई थी, जो जल्द ही दो कबीलों के बीच फैल गई। अब इसे लेकर पूरे जिले में तनाव है।
पाकिस्तानी टीवी चैनल समा न्यूज के मुताबिक सुन्नी समुदाय को सीमा पार के अफगान कबीले का समर्थन मिल रहा है, जिसकी वजह से वे भारी पड़ रहे हैं।
2 परिवारों के बीच शुरू हुई लड़ाई, पूरे जिले में फैली
कुर्रम के डिप्टी कमिश्नर जावेदुल्लाह मेशूद ने लोकल मीडिया से कहा कि दो समुदायों के बीच ये लड़ाई 6 दिनों से जारी है। उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलकर आदिवासी समुदाय जिरगा के बुजुर्गों और दूसरे लोगों की मदद से दोनों समुदायों के बीच समझौता कराया है, लेकिन जिले के दूसरे हिस्सों में अभी भी गोलीबारी की खबरें हैं।
स्थानीय पुलिस अधिकारी मुर्तजा हुसैन ने पाकिस्तानी अखबार डॉन से बताया कि सुन्नी मिदगी और शिया मलीखेल समुदायों के बीच ये विवाद 2007 में शुरू हुआ था। तब भी हिंसा की घटनाएं हुई थीं। पिछले साल जुलाई में भी विवाद हुआ था, जिसके बाद शिया और सुन्नी समुदाय के बीच लड़ाई हुई थी। इसमें कई लोग मारे गए थे।
पिछले साल खत्म हुआ विवाद, फिर शुरू हुआ
पिछले साल दोनों पक्षों के बीच लड़ाई के थमने के बाद इनके बीच एक समझौता कराया गया। इसमें तय हुआ कि सरकार तय करेगी कि जमीन किसकी है। जमीन विवाद हल कराने वाली लैंड कमीशन का नियम ही दोनों पक्षों को मानना होगा।
इसके बाद कमीशन ने अपना फैसला सुनाया और ये जमीन शिया समुदाय को दे दी, लेकिन एक साल बाद इसे लेकर फिर विवाद शुरू हो गया। बुधवार को जमीन से जुड़े एक विवाद पर बातचीत हो रही थी, तभी एक शख्स ने गोली चला दी। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया।
पाकिस्तान बनने से पहले के हैं कई विवाद, अब तक हल नहीं निकला
समा चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल कुर्रम में आठ बड़े संघर्ष चल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान बनने से पहले के हैं। ये सभी मामले जमीन से जुड़े हुए हैं।
लैंड रिफॉर्म्स न होने की वजह से ये विवाद अब तक जारी है। जब भी इनमें विवाद शुरू होता है तो वह कबीले की लड़ाई से निकलकर सांप्रदायिक संघर्ष में तब्दील हो जाता है।