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मैक्रों की भारत यात्रा के बाद चीन का बयान : जिनपिंग - हम फ्रांस के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं, हमारे संबंध 60 साल पुराने

Updated on 29-01-2024 12:55 PM

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा (25-26 जनवरी) के 3 दिन बाद चीन ने फ्रांस को लेकर बयान दिया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन, फ्रांस के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहता है।

दरअसल, 27 जनवरी को चीन और फ्रांस के राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे हुए। इसके बाद अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा- बीजिंग द्विपक्षीय संबंधों के विकास को महत्व देता है। हम फ्रांस के साथ अपने रिश्ते मजबूत करके विकास के नए रास्ते खोलना चाहते हैं। आज दुनिया एक बार फिर महत्वपूर्ण मोड़ पर है। चीन और फ्रांस को संयुक्त रूप से मानव विकास के लिए शांति, सुरक्षा और प्रगति का रास्ता खोलना चाहिए।

चीन का बयान इसलिए भी अहम...
भारत की यात्रा के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने भारत के साथ सहयोग तेज करने के अलावा हिंद महासागर में एक महत्वाकांक्षी डिफेंस रोडमैप का अनावरण किया था।

हिंद महासागर में चीन का दखल बढ़ता जा रहा है। वो लगातार यहां अपने जासूसी जहाज भेजता रहता है। इससे निपटने के लिए भारत 19 से 27 फरवरी तक हिंद महासागर में सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास आयोजित करेगा। इसमें फ्रांस की नौसेना भी शामिल होगी। इसके अलावा अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया समेत 50 देशों की नौसेनाएं भी शामिल होंगी।

हिंद महासागर में भारत को मिल रहे फ्रांस के सहयोग से चीन की चिंता बढ़ी है। इसके बाद चीन-फ्रांस के रिश्तों को मजबूत करने वाला जिनपिंग का बयान सामने आया। इसलिए इस बयान को फ्रांस को लुभाने के चीनी प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करते हैं मैक्रों
हालांकि फ्रांस और चीन के रिश्ते हमेशा ही से मजबूत रहे हैं। मैक्रों ने अप्रैल 2023 में कहा था- हम चीन की वन चाइना पॉलिसी के साथ हैं और चाहते हैं कि समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरह से निकाला जाए।

5 अप्रैल को 3 दिन के दौरे पर बीजिंग पहुंचे राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच ट्रेड और इकोनॉमी सहित ताइवान विवाद पर भी चर्चा हुई थी। बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए फ्रांस ने कहा था कि यूरोप को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए। हमें ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच टकराव में घसीटे जाने से बचना चाहिए।



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