हिंद-प्रशांत में तैनात होगा चीन का काल, ड्रैगन से मुकाबले के लिए अमेरिका तैनात करेगा 300 F-35 फाइटर जेट, जानें खासियत
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02-05-2024 01:19 PM
वाशिंगटन/जापान/बीजिंग: चीन से मुकाबले के लिए अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़ी महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इसके तहत अगले एक दशक में इस इलाके में 300 से ज्यादा अत्याधुनिक एडवांस F-35 लड़ाकू विमानों की तैनाती होने वाली है। इन सभी विमानों को अमेरिका खुद तैनात नहीं करने जा रहा है, बल्कि वह इन्हें इस इलाके में अपने सहयोगियों को सौंपने जा रहा है। इनमें अमेरिका के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर शामिल हैं। चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों को देखते हुए इंडो-पैसिफिक में एफ-35 फाइटर जेट्स की मांग तेजी से बढ़ी है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने लॉकहीड मार्टिन को 2020 में सिंगापुर क लिए 12 F-35B शॉर्ट टेक ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग विमानों की बिक्री की मंजूरी दी थी। अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन इन विमानों का निर्माण करती है। इनमें से पहले चार विमानों को 2026 तक सौंप दिया जाना है। सिंगापुर अपने वायु सेना के बेड़े में अगली पीढ़ी के विमानों को शामिल कर रहा है, जिसके लिए एफ-35 का अधिग्रहण किया जाना है। सिंगापुर के पास अभी एफ-16 लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें 2030 के दशक के मध्य तक बाहर किए जाने की योजना है।
विमानों की मरम्मत और ओवरहॉल की भी व्यवस्था
लॉकहीड की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 2035 तक 300 से ज्यादा एफ-35 विमान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में होंगे। इन विमानों की सुचारू आपूर्ति के साथ ही कार्यकुशलता, रखरखाव और मरम्मत के लिए भी कंपनी ने योजना बनाई है। कंपनी के तीन फाइलन असेंबली और चेक आउट सुविधाओं में से एक को जापान के नागोया में स्थापित किया गया है। इसके अलावा उत्तरी एशिया क्षेत्रीय रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल और अपग्रेड का केंद्र भी नागोया में ही है, जिसे 2020 में पूरा किया गया। यहां पर जापाना एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स और अमेरिकी वायु सेना के विमानों को सुविधा दी जाएगी। कंपनी की विज्ञप्ति में कहा गया है कि हमारे मंच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए संबंध मिशन का समर्थन करना जारी रखते हैं।
एफ-35 क्यों बना रहा हिंद-प्रशांत की पसंद?
यूरेशियन टाइम्स ने लॉकहीड मार्टिन के एफ-35 अंतरराष्ट्रीय व्यापार के निदेशक स्टीव ओवर के हवाले से बताया है कि आज की दुनिया में कोई भी अकेले जंग में नहीं जा रहा है, इसलिए यह गठबंधन क्षमता के निर्माण के बारे में है। एफ-35 की खूबी यह है कि यह लड़ाकू विमान केवल संयुक्त राज्य अमेरिका नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक के देशों जैसे जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के साथ ही यूरोपीय देशों के पास भी है।
अपनी इस खूबी के चलते एफ-35 को भविष्य में होने वाले संघर्ष में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल होने वाली है। यह निश्चित रूप से भविष्य की दुनिया है, जहां कई देशों से बनी गठबंधन सेना में टारगेट का डेटा हासिल करने के लिए पॉयलट को किसी भी एफ-35 नेटवर्क में प्लग किया जा सकता है। ऐसा होने के लिए अमेरिकी जहाज या किसी देश विशेष का जहाज होना जरूरी नहीं है। संचालन की यह खूबी सभी ग्राहकों के लिए F-35 की पहचान बन रही है। यही वजह है कि एफ-35 इंडो-पैसिफिक में मित्र देशों की साझेदारी को मजबूत करता है।
चीन से भिड़ने का प्लान
इन सबसे अलग चीन भी एक प्रमुख वजह है, जिसके चलते अमेरिका के ऊपर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने हवाई ताकत को बढ़ाने का दबाव है। ये भी ध्यान देना जरूरी है कि चीन ने हाल के वर्षों में कई अत्याधुनिक विमानों को अपनी वायु सेना में शामिल किया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि चीन के पास जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी वायु सेना हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, चीन हर साल लगभग 100 जे-20 फाइटर जेट बना रहा है, जबकि लॉकहीड मार्टिन प्रतिवर्ष 135 एफ-35 का उत्पादन कर रहा है। लेकिन चीन के अधिकांश जे-20 अपने लिए हैं, वहीं अमेरिका में बनने वाले एफ-35 में 60 से 70 सहयोगियों को निर्यात किए जाते हैं।
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