नई दिल्ली । लद्दाख सहित सीमा क्षेत्रों में नए पुलों के निर्माण से चीन की बेचैनी और बढ़ गई है। अपनी सीमा में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर चुके चीन को भारत की ओर से भी ऐसा करना हजम नहीं हो रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वे सैन्य निरीक्षण और नियंत्रण के उद्देश्य से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का विरोध करते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान ने भारत द्वारा सीमा पर बनाए गए पुलों को लेकर सवाल के जवाब में कहा, किसी भी पक्ष को इलाके में ऐसा कोई कदम उठाना चाहिए जिससे स्थिति जटिल हो। चीन सैन्य निरीक्षण और नियंत्रण के उद्देश्य से किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का विरोध करता है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच पांच महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बीच भारत ने यहां पुलों के निर्माण को तेज कर दिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में बनाए गए 44 पुलों का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री ने अरूणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग की आधारशिला रखी। इस 450 मीटर लंबी सुरंग से नेचिफू पास के पार सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित होगा। इन पुलों में 10 जम्मू-कश्मीर में, आठ लद्दाख में, दो हिमाचल प्रदेश में, पंजाब और सिक्किम में चार-चार तथा उत्तराखंड एवं अरुणाचल प्रदेश में आठ-आठ पुल हैं। अपने संबोधन में सिंह ने सरहदी इलाकों में अवसंरचना में सुधार की उपलब्धि के लिए सीमा सड़क संगठन बीआरओ की तारीफ की और कहा कि एक बार में 44 पुलों को समर्पित करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है। बीआरओ ने सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में तीन गुना अधिक ताकत झोंक दी है। यहां एक तरफ अस्थायी पुलों को स्थायी पुलों में बदला जा रहा है तो अगले छह महीने से डेढ़ साल में 40-50 नए पुल तैयार हो जाएंगे। बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा हमने अस्थायी पुलों को स्थायी पुलों में बदलने का काम शुरू कर दिया है। इस साल हम तीन गुना अधिक क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। यह आर्थिक विकास, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, पर्यटन और सुरक्षाबलों के तेजी से मूवमेंट में मदद देगा। हरपाल सिंह ने बताया, लद्दाख में बड़े पुलों का निर्माण किया जा रहा है। 40-50 पुल निर्माणाधीन हैं, जो छह महीने से लेकर डेढ़ साल तक में तैयार हो जाएंगे। गौरतलब है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में पुलों और सड़कों के निर्माण को रोकने के लिए एलएसी पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी।