चीन का कहना है कि भारत के साथ सीमा विवाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- भारत-चीन के संबंध तक तक नॉर्मल नहीं हो सकते जब तक सीमा विवाद हल नहीं हो जाता।
इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के स्पोक्स पर्सन वांग वेनबिन ने कहा- भारत-चीन सीम विवाद दोनों देशों के बायलैटरल रिलेशन्स का प्रतिनिधित्व नहीं करता। हमें एक-दूसरे पर भरोसा करने की जरूरत है। इससे हमारे बीच गलतफहमी दूर होगी और हमारे रिश्ते मजबूत होंगे।
दरअसल, दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर तनाव है।
जयशंकर ने कहा था- चीन लिखित समझौतों को नहीं मानता
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर बॉर्डर पर खूनखराबा और लिखित समझौतों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए। जापान की राजधानी टोक्यो में हुई रायसीना राउंडटेबल में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था- 1975 से 2020 तक बॉर्डर पर शांति थी। 2020 (गलवान झड़प) में सब बदल गया। हम (भारत-चीन) कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं। जब पड़ोसी लिखित समझौतों का उल्लंघन करे तो ये चिंता की बात है। इससे दोनों के रिश्तों की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं।
NSA अजीत डोभाल ने कहा था- रणनीतिक विश्वास खत्म हो गया
24 जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। बैठक के दौरान NSA डोभाल ने कहा था कि भारत-चीन के बीच 2020 में सीमा विवाद के बाद रणनीतिक विश्वास खत्म हो गया है। इस दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी मौजूद थे।
गलवान झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे
साल 2020, अप्रैल-मई में चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे।
हालात इतने खराब हो गए कि 4 दशक से ज्यादा वक्त बाद LAC पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। गलवान झड़प में चीन के 38 सैनिक मारे जाने की बात कही गई थी। हालांकि चीन ने केवल 4 की मौत कबूली थी।