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भारत-अमेरिका की दोस्ती का कारण है चीन... ड्रैगन से चुनौती दोनों देशों को लाएगी करीब, जानें क्यों कह रहे एक्सपर्ट्स

Updated on 30-10-2023 01:54 PM
वाशिंगटन: जब तक चीन खतरा बना रहेगा, भारत और अमेरिका के संबंधों में घनिष्ठता आती जाएगी। एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी विशेषज्ञ ने यह बात कही। 'कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में ‘टाटा चेयर फॉर स्ट्रेटजिक अफेयर्स’ एशले टेलिस ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में न केवल दोनों देशों के बीच, बल्कि दोनों समाजों के बीच संबंधों में गहराई देखी जाएगी। उन्होंने कहा, 'यह (भारत-अमेरिका) रिश्ता तब तक गहरा होना तय है जब तक चीन वहां मौजूद रहेगा, जिसे दोनों देशों को प्रबंधित करना होगा।'

चीन के साथ तनाव बरकरार रहने के कारण दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ संबंध मजबूत करने के लिए अमेरिका भारत पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अमेरिका और चीन के बीच दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और जटिल द्विपक्षीय संबंधों में से एक है। 1949 के बाद से, देशों ने व्यापार, जलवायु परिवर्तन, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और कोविड-19 महामारी सहित मुद्दों पर तनाव और सहयोग दोनों का अनुभव किया है।

भारत और चीन के बीच हुआ था तनाव


जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में कड़वाहट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। 1975 के बाद से यह दोनों देशों के सैनिकों के बीच एक गंभीर सैन्य संघर्ष था, जिसमें कई सैनिकों की जान गई थी। हालांकि इस संघर्ष के दौरान सिर्फ डंडों और अन्य हथियारों का इस्तेमाल हुआ, लेकिन बंदूक का इस्तेमाल नहीं किया गया। 1996 में दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी थी कि सीमा पर बंदूक या विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं होगा।

बाइडेन-जिनपिंक करेंगे मुलाकाता

चीन के विदेश मंत्री का मानना हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की संभावित बैठक की 'राह आसान नहीं' होगी और नतीजों तक पहुंचने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर काम करना होगा। चीन के विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपनी तीन दिवसीय वाशिंगटन यात्रा के दौरान बाइडन के साथ-साथ अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन से भी मुलाकात की थी। दोनों पक्ष ने इस दौरान सैन फ्रांसिस्को में नवंबर में आयोजित हो रहे एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच (एपीईसीएफ) के शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक को लेकर काम करने पर सहमति जताई।

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