फिलिस्तीन की 2 सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों हमास और फतह ने सुलह कर ली है। चीन ने मंगलवार को दोनों के बीच डील कराई है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जंग के बाद पहली बार है जब एक दूसरे की कट्टर विरोधी पार्टियों ने साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बताया कि 3 दिन की बैठक के बाद ये डील हो पाई है। इसके तहत ये तय हुआ है कि जंग खत्म होने के बाद दोनों दल गठबंधन से फिलिस्तीन में सरकार चलाएंगे। डील में हमास और फतह के अलावा 12 फिलिस्तीनी समूहों ने भी हाथ मिलाया है।
फतह ने कहा कि ये डील फिलिस्तीन को इजराइल के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने में मदद करेगी।
दो दुश्मन क्यों बने दोस्त ?
फतह इजराइली के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके वेस्ट बैंक में सरकार चलाता है। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास फतह संगठन के ही हैं। वहीं, समुद्री तट की तरफ बसे फिलिस्तीनी हिस्से गाजा में हमास की सरकार है। 2006 के गाजा इलेक्शन में फतह की हार के बाद वहां हमास की सरकार बनी थी।
हमास और फतह के बीच सरकार चलाने और लोगों का प्रतिनिधित्व करने को लेकर दशकों से संघर्ष रहा है। दोनों ही फिलिस्तीन के हितों के लिए लड़ाई लड़ते हैं। लेकिन, हमास हमेशा से आजादी की लड़ाई आक्रामक तरीके से लड़ता आया है, वहीं फतह कूटनीतिक ढंग और बिना संघर्ष के फिलिस्तीनी लोगों की आवाज उठाने की हिमायत करता है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) में भी फतह को फिलिस्तीन प्रतिनिधित्व करने का जिम्मा मिला है। अब दोनों संगठन चाहते हैं कि वे इजराइल के खिलाफ मिलकर लड़े और दुनिया में फिलिस्तीनियों को एकजुट होकर रिप्रजेंट करें।
दोनों की दोस्ती से चीन का क्या फायदा है ?
चीन ऐतिहासिक रूप से जंग में फिलिस्तीन के प्रति सहानुभूति रखता आया है। वह एक आजादी फिलिस्तीन देश का समर्थन करता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तो जंग खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन का आह्वान भी कर चुके हैं।
चीन ने फिलिस्तीन में सौर ऊर्जा स्टेशन बनाने के लिए 2016 में 63 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था। जून 2023 के बाद से फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास 5 बार चीन का दौरा कर चुके हैं। इस साल जनवरी में इजराइली सेना ने बताया था कि हमास जो हथियार का इस्तेमाल कर रहा है, उनमें से ज्यादातर चीन में बने हैं।
इससे पहले अप्रैल 2024 में भी चीन ने हमास और फतह ने आपसी मतभेद सुलझाने के लिए राजधानी बीजिंग में मुलाकात करवाई थी। चीन ऐसा कर मिडिल ईस्ट में अमेरिका को टक्कर देकर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।