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चीन ने तोड़ी चुप्‍पी, लद्दाख में सीमा से PLA सैनिकों की वापसी पर आखिरकार आया ड्रैगन का बयान, जानें क्‍या बोला

Updated on 26-10-2024 01:32 PM
बीजिंग: ब्रिक्‍स समिट में पीएम मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। इस पूरे मामले में अब चीन ने चुप्‍पी तोड़ी है। चीन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच हाल ही में हुए समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख से चीनी और भारतीय सैनिकों की वापसी ‘सुचारू रूप से’ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर अपनी द्विपक्षीय बातचीत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से सैनिकों के पीछे हटने और गश्त को लेकर हुए समझौते का अनुमोदन किया था।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को बीजिंग में बताया, ‘सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने जवानों की वापसी में जुटे हैं और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।’ भारत ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर चीन से हुए समझौते की 21 अक्टूबर को घोषणा की थी और बीजिंग ने एक दिन बाद इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि दोनों ‘पक्ष प्रासंगिक मामलों के समाधान’ तक पहुंच गए हैं और वह (बीजिंग) इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए नयी दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा।

भारतीय सेना ने वापसी पर क्‍या बोला?


भारतीय सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को बताया, ‘भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है।’ उन्होंने कहा कि समझौता केवल टकराव वाले इन दो बिंदुओं के लिए हुआ है तथा अन्य क्षेत्रों के लिए 'बातचीत अब भी चल रही है।' सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव वाले दोनों बिंदुओं पर गश्त शुरू होगी और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों को हटाकर अस्थायी ढांचों को नष्ट कर देंगे।

सूत्रों ने कहा कि अंतत: गश्त का स्तर अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था। यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि पिछले कुछ सप्ताह में हुई बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया और इससे 2020 में सामने आए मुद्दों का समाधान निकलेगा।

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