कैमलिन के प्रमुख सुभाष दांडेकर का निधन, स्याही बनाने वाली कंपनी को बना दिया था ग्लोबल ब्रांड
Updated on
16-07-2024 02:46 PM
नई दिल्ली: जाने-माने स्टेशनरी ब्रांड कैमलिन (Camlin) के प्रमुख सुभाष दांडेकर (Subhash Dandekar) का सोमवार को निधन हो गया। दांडेकर पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और हिंदुजा अस्पताल में भर्ती थे। उनका मध्य मुंबई में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए गुरुवार को एक शोक सभा आयोजित की जाएगी। दांडेकर ने जापान की कंपनी कोकुयो को अपना लोकप्रिय ब्रांड बेच दिया था और उसके बाद से वह कोकुयो कैमलिन के मानद चेयरमैन के रूप में काम कर रहे थे। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। उनके निधन पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि राज्य ने एक ऐसा दिग्गज खो दिया है, जिसने मराठी उद्योग जगत को प्रसिद्धि दिलाई।
कैमलिन की स्थापना 1931 में सुभाष दांडेकर के पिता डीपी दांडेकर और उनके भाई जीपी दांडेकर ने की दांडेकर एंड कंपनी के रूप में की थी। कंपनी ने सबसे पहले हॉर्स ब्रांड इंक बनाई। इसे स्याही पाउडर के रूप में बेचा जाता था। साल 1947 में कंपनी ने चॉक, स्टांप पैड और गोंद के बाजार में भी एंट्री मारी। इसके बाद 1960 के दशक में सुभाष दांडेकर ने कंपनी को ऊंचाई पर पहुंचा दिया। सुभाष दांडेकर ने रंग रसायन विज्ञान में ग्लासगो से पढ़ाई की। वापस लौटने के बाद उन्होंने एक लैब बनाई और भारतीय बाजार के अनुरूप रंग तैयार करने का काम शुरू किया। 1962 में उन्होंने आर्ट मार्केट में एंट्री मारी।
जापानी कंपनी के साथ डील
साल 1974 में कंपनी ने वूडन पेंसिंल लॉन्च की और 1987 में बीएसई में लिस्ट हुई। इसके दो साल बाद 1989 में कैमलिन ने जापान की पायलट कंपनी के साथ टेक डील की। साल 2012 में दांडेकर ने कंपनी में मैज्योरिटी हिस्सेदारी कोकुयो को बेच दी। जापानी कंपनी ने 366 करोड़ रुपये में 50.74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। उस समय कैमलिन के 2,000 से ज्यादा प्रॉडक्ट्स बाजार में थे। सुभाष दांडेकर ने कैमलिन ब्रांड को देश-विदेश में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वह 1990 से 1992 तक महाराष्ट्र चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष भी रहे।
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